भारत देश में कई ऐसी त्रासदीयां हुई है जो दिल को दहला देने वाली थीं। भारत में हुए उन त्रासदी में जान और माल दोनों की बहुत ज्यादा ही हानि हुई है। कई व्यक्तियों ने अपने परिवार को खोया तो किसी ने अपनी जान गंवाई तो कुछ व्यक्तियों ने अपने जीवन की सारी पूंजी भी गंवा दी। लेकिन इतिहास में सबसे भयंकर अकाल बंगाल में ही पड़ा था और यह अकाल 1943 में पड़ा था ।जिसकी तस्वीरें आज भी देखने वालों के आँखों से आंसू झलका दे । इस अकाल में लाखों लोगों की जान चली गई थी। आज भी लोग उस मंजर को याद करके कांप जाते हैं।
बंगाल को अब बांग्लादेश कहा जाने लगा है। ये भयंकर अकाल बंगाल के साथ-साथ बिहार और उड़ीसा में भी पड़ा था। भारत की आजादी के कुछ साल पहले की ये तस्वीरें आपका दिल झंझोड़ देगी। भारत आजादी से पहले ब्रिटिश भारत कहलाता था। क्योंकि तब भारत देश पर अंग्रेजों की हुकूमत थी।
1943 में बंगाल में भयानक अकाल आया जिसमें बंगाल में अनाज की कमी हो गई थी। लोग भूख से तड़पकर मर रहे थे। रासन की कीमतें इतनी बढ़ा दी गई थी की लोगों का अनाज खरीदकर खाना मुस्किल हो चुका था। तब जापान के आक्रमण के डर से बंगाल में नावों और बैलगाड़ियों को जब्त किया जा रहा था। जिसके चलते हर तरफ भुखमरी का माहौल बना हुआ था।
जब ये अकाल पड़ा तो लोग कोलकाता और ढाका में खाने और आश्रय की तलाश में पहुंचने लगे थे। लेकिन वहां उन्हें न खाना मिला न ही रहने की कोई जगह। उस वक्त मंजर ऐसा था कि कचरे में फेके गए खाने को भी उन्हें जानवरों से छीन कर खाना पड़ता था।
उस समय लोग भूख से तपड़ रहे थे अपने बच्चों को नदियों में फेंक रहे थे। महिलाएं अपनी और अपने बच्चों की भूख मिटाने के लिए वेश्यावृत्ति करने पर मजबूर हो गई थीं। कुछ लोग सांप और घास खाने को मजबूर हो गए थे। कोलकाता की सड़कों पर कंकालों का ढेर लग गया था।
खबरों के अनुसार द्वितीय विश्वयुद्ध के समय बर्मा पर जापान के कब्जे के दौरान वहां से चावल का आयात पूरी तरह से रुक गया था। ब्रिटिश शासन ने युद्ध में लगे अपने सैनिकों के लिए चावल की जमाखोरी करना शुरू कर दी थी । इसकी वजह से बंगाल में बड़ी भयंकर अकाल के कारण 1942 में 30 लाख से अधिक लोग मर गए थे । बताया जाता है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने भारतीयों को भूखे मरने के लिए जानबूझकर छोड़ा था।