श्री सनकादि मुनि :
मान्यताओ के अनुसार भगवान ब्रम्हा ने घोर तप किया था ,संसार में अनैक लोगो को उत्पन्न करने के लिए उनके इस तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार नाम के चार मुनियों के रूप में अवतार लिया। ये भगवान विष्णु के सर्वप्रथम अवतार माने जाते हैं।
वराह अवतार :
भगवान विष्णु ने दूसरा अवतार वराह रूप में लिया था। पुरातन समय में दैत्य हिरण्याक्ष ने जब पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया तब ब्रह्मा की नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए । फिर सभी देवताओ के आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी को ढूंढना प्रारंभ किया।फिर उन्होंने पृथ्वी का पता लगा लिया और समुद्र के अंदर जाकर अपने दांतों पर रखकर वे पृथ्वी को बाहर जमीं पर ले आए।
नारद अवतार:
शास्त्रों के अनुसार नारद मुनि, ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक हैं। उन्होंने कठिन तपस्या से देवर्षि पद प्राप्त किया है। भगवान का रूप लोक कल्याण के लिए हुआ था ।
नर-नारायण :
सृष्टि के आरंभ में भगवान विष्णु ने धर्म की स्थापना के लिए दो रूपों में अवतार लिया। इस अवतार में वे अपने मस्तक पर जटा धारण किए हुए थे। जिसे नर नारायण के नाम से जाना गया था।
कपिल मुनि:
भगवान विष्णु ने पांचवा अवतार कपिल मुनि के रूप में लिया। इनके पिता का नाम महर्षि कर्दम व माता का नाम देवहूति था। भगवान कपिल के क्रोध से ही राजा सगर के साठ हजार पुत्र भस्म हो गए थे। भगवान कपिल सांख्य दर्शन के प्रवर्तक हैं।