तो ये थे भगवान विष्णु के 24 अवतार और उनको लेने का उद्देश्य

मोहिनी अवतार

समुद्र मंथन के दौरान सबसे अंत में धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर निकले।तो देवताओं ने कहा हम लेंगे  दैत्यों ने कहा हम लेंगे । इसी खींचातानी में इंद्र का पुत्र जयंत अमृत कुंभ लेकर भाग गया। सारे दैत्य व देवता भी उसके पीछे भागे। असुरों व देवताओं में भयंकर मार-काट मच गई।देवता परेशान होकर भगवान विष्णु के पास गए। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया। भगवान ने मोहिनी रूप में सबको मोहित कर दिया किया। मोहिनी ने देवता व असुर की बात सुनी और कहा कि यह अमृत कलश मुझे दे दीजिए तो मैं बारी-बारी से देवता व असुर को अमृत का पान करा दूंगी। दोनों मान गए। देवता एक तरफ  तथा असुर दूसरी तरफ  बैठ गए। और छल से उन्होंने केवल देवताओ को अमृत पान कराया ,इस प्रकार भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर देवताओं का भला किया।

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