बचपन से ही इनके मन में जन सेवा का भाव पनपने लगा था ।मदर टेरेसा ने 18 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था और डुबलिन में नन बन गई थी।वहा वह सेवा के साथ-साथ कोलकाता में सेंट मेरी हाई स्कूल में इतिहास और भूगोल की शिक्षा भी देती थीं। 15 साल तक स्कूल में पढ़ाने के बाद उन्हें लगा कि उन्हें अपना पूरा जीवन और समय गरीबों के लिए देना चाहिए।उनका मन गरीबों के लिए पसीज जाता था उन्होंने खुदको गरीबों की सेवा में सौंप दिया।
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