पहले से ही हम सबको यही समझाया जाता है कि मेहनती बनो। पढ़ाई हो या कोई भी काम मेहनत और लगन से करो तभी सफलता मिलेगी। यह बात बिल्कुल सत्य है। लेकिन मेहनत अगर सही दिशा में न कि जाएं तो पूरी मेहनत व्यर्थ भी हो सकती हैं।
आइए एक कहानी से समझते हैं कि मेहनत करने के बाद भी लकड़हारा अपने काम से निराश क्यों था।
किसी गाँव में मटुक नाम का युवक रहता था। वह बड़ा ही मेहनती लेकिन कम पढ़ा लिखा था। जिस कारण उसे कही भी कोई रोजगार नही मिल रहा था।
एक दिन काम की तलाश में वह युवक किसी लकड़ी के व्यापारी के पास पहुंचा। मटुक की दशा देखकर व्यापारी ने उसे रोज जंगल से पेड़ काटने का काम दे दिया। काम पाकर मटुक बहुत प्रसन्न हुआ।
अगली सुबह वह पूरे उत्साह से अपनी कुल्हाड़ी लेकर पेड़ काटने में लग गया। काम के पहले ही दिन मटुक ने 18 पेड़ काट डाले। व्यापारी भी युवक के काम से बड़ा खुश हुआ और उसे शाबाशी देने लगा।
अगले दिन मटुक ने और ज्यादा मेहनत की लेकिन ज्यादा मेहनत करने के बाद भी मटुक केवल 15 पेड़ ही काट पाया।
व्यापारी ने मुस्कुराते हुए कहा – कोई बात नही मेहनत करते रहो।
तीसरे दिन मटुक ने खूब मेहनत की पूरे दिन बिना समय गवाय पेड़ काटने में लगा रहा। लेकिन खूब मेहनत के बाद भी केवल 10 पेड़ काट सका।
अब मटुक को बड़ी निराशा हुई। वह खुद नही समझ पा रहा था कि रोज से ज्यादा काम करने के बाद भी कम पेड़ क्यो कट रहे थे। हारकर मटुक ने व्यापारी से पूछा – मैं रोज बिना समय बर्बाद किये खूब मेहनत करता हूँ लेकिन फिर भी पेड़ो की संख्या कम होती जा रही हैं?
व्यापारी ने पूछा – तुमने कुल्हाड़ी पर धार कब लगाई थी। मटुक ने कहा – धार? मेरे पास तो धार लगाने का समय ही नही बचता। पूरा दिन तो मैं पेड़ काटने में व्यस्त रहता हूँ।
व्यापारी – तो बस इसी कारण तुम्हारे पेड़ो की संख्या दिन प्रतिदिन घटती ही जा रही हैं।
सीख
यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है। हम रोज सुबह नौकरी या व्यवसाय के लिए निकलते है । रोज खूब मेहनत करते हैं लेकिन अपनी कुल्हाड़ी रूपी स्किल्स (skills) को इम्प्रूव(improve) करने की तरफ ध्यान नही देते।
कठिन परिश्रम करना अच्छी बात है लेकिन smart work, hard work से ज्यादा अच्छा परिणाम लाता है।