एक लड़की थी सीलू वह बगीचे में खेल रही थी तो अचानक उसकी नजर एक पेड़ पर पड़ी जहा एक पत्ते पर तितली का कोकून लगा था वह उसके पास गई तो वह हिल रहा था
उसने सोचा यह क्या है वह उसके करीब जा कर देखने लगी फिर अचानक उसमे से तितली का सर बाहर निकला यह देख कर वह चौक गई उसे लगा की तितली उसमे फस गई है और निकल नहीं पा रही
सीलू तितली को खूब देर तक देखती रही उसने देखा कि तितली कोकून से बाहर निकलने के लिए बार बार कोशिश कर रही थी| पर वह निकल नहीं पा रही थी
सीलू से यह देखा नहीं गया और उसको तितली पर दया आ गयी और उसने तितली की मदद करने की कोशिश की|
सीलू ने उस कोकून को तोड़ दिया और तितली को बाहर निकाल दिया| उसे लगा अब तितली आजाद हो जाएगी लेकिन कुछ ही देर में तितली मर गयी|
सीलू को यह समझ नहीं आ रहा था कि वह तितली कैसे मर गयी और वह तितली को देख कर रोने लगी उसे वह बचाना चाहती थी पर वह मर गया इसका उसे बहुत दुःख हुआ
वह रोते –रोते अपनी माँ के पास गई और सारी बात बताई| माँ ने उसे कहा मत रो बेटा यह तो प्रकृति का नियम है और कोकून से बाहर आने के लिए तितली को खुद ही सब करना पड़ता है उससे उसके पंखों और शरीर को मजबूती मिलती है| वह बहुत नाजुक होती है
तुमने तितली की मदद करके उसे खुद निकलने का मौका नहीं दिया जिससे वह मर गई |
कहानी की सिख- कोई कार्य ऐसे होते है जिसे वो खुद ही कर सकते है जिनका वह कार्य है बिना सोचे समझे किसी की मदद करना भारी पड़ सकता है इसलिए सोच विचार कर हमे किसी के कार्य में हस्तक्षेप करना चाहिए