एक बार की बात है दो दोस्त थे अजय और अनिल वह बहुत ही जिगरी यार थे बचपन से ही साथ खेले बड़े हुए उनकी दोस्ती एक पार्क में हुई थी अजय के पिता डॉक्टर थे और अनिल के पिता छोटी सी जॉब करते थे
अजय बड़े स्कुल में पड़ता था और अनिल सरकारी स्कुल में पड़ता था एक दिन अनिल को सिने में तेज दर्द उठा उसके घरवाले उसे तुरंत हस्पताल ले गए
इतफाक से उस अस्पताल के सिने के डॉक्टर अजय के पिता थे वह अस्पताल में नहीं थे इस वजह से अनिल के इलाज में देरी हो रही थी अनिल के घर वाले बहुत चितित हो रहे थे उसके लिए काफी समय के बाद जब अजय के पिता को फ़ोन करके बुलाया गया तो वह फ़ौरन वहा आ गए उन्होंने अनिल को चेक किया और जल्दी से ऑपरेशन रूम की तरफ जाने लगे|
वहां पर खड़े अनिल के पिता ने उन्हें रोक कर अपनी नाराजगी ज़ाहिर की और बोले – आपने आने में इतनी देर क्यों कर दी| मेरे बेटे को कुछ हो गया तो इसके जिम्मेवार आप होगे डॉक्टर होके ऐसे ला परवाह कैसे हो सकते है आप डॉक्टर ने फिर जबाब दिया देखिए आप चिंता न करे सब ठीक हो जाएगा मुझे जैसे ही फोन आया मैंने जल्द से जल्द अस्पताल पहुँचने की कोशिश की थी आप शांति बनाए रखे वो ठीक हो जाएगा
अनिल के पिता क्रोधी स्वाभाव के थे वे फिर भी चिल्लाए जा रहे थे ऐसे कैसे शांत हो जाऊं क्या आपका बेटा यहाँ मौत से लड़ रहा होता तब आप शांत होते बताइए आप मुझे डॉक्टर कहने लगे कुछ नही होगा आप भगवान से अपने बेटे के लिए प्रार्थना कीजिए हम अपनी पूरी कोशिश करेंगे कि आपके बेटे को कुछ न हो आप शांत मन से बैठे
ऑपरेशन के बाद डॉक्टर बाहर आए और अनिल के पिता से कहा आपका बेटा बिलकुल ठीक है आप जा कर मिल सकते है कुछ देर बाद यह कहकर डॉक्टर जल्दी जल्दी वहा से निकल गए तब अनिल के पिता अनिल के पास गए उसे देखा बोले कितना घमंड है इस डॉक्टर को अपने डॉक्टर होने का बता कर भी नहीं गया की कैसे ध्यान रखे हम अपने बच्चे का और उसे हुआ क्या था कुछ नही बताया चला गया
यह सब सामने एक कंपाउंडर सुन रहा था वह बोला बिना सोचे समझे किसी पर टिपमणी नहीं करना चाहिए वे बहुत ही अच्छे स्वाभाव के डॉक्टर है इस हस्पताल के ,आज सुबह उनके बेटे का एक्सीडेंट हो गया था जिसमे उसकी मौत हो गई थी आपके बेटे का दिल जो अब धडक रहा है यह उसी का है उन्होंने आपके बेटे को अपने बेटे का दिल दान कर दिया है जिसकी वजह से आज आपका बेटा जिंदा है
जब हमने आपके बेटे के ऑपरेशन के लिए फोन किया था तो वह अपने बेटे के अंतिम संस्कार की विधि कर रहे थे जिसे वह छोड़कर ऑपरेशन करने आए थे| अब लौटकर वे अपने बेटे के अंतिम संस्कार के कार्य को पूरा करने गए है
यह सुनकर सबके आँखों में पानी भर आया अनिल के पिता अपने कहे वचनों के लिए बहुत दुखी थे वहा सब उस डॉक्टर को दुआए देने लगे इतने में अनिल भी बोल पड़ा की अजय मेरा बहुत अच्छा दोस्त था पापा ,उसकी खबर सुनकर मेरे सिने में दर्द उठा था और वह जोर जोर से रोने लगा उसके पिता उसे समझाने लगे की मत रो अजय कही नही गया वह तुम्हारे ही पास है दिल बनके धडक रहा है
कहानी की सिख –बिना सोचे समझे किसी के बारे में आंकलन ना करे कभी –कभी ऐसा भी होता है की जो जैसा दीखता है वैसा होता नही है