सीतापुर गाँव में दो भाई रहते थे उनको भगवान पर कड़ी आस्था थी और वे दिन रात भगवान की तपस्या करते थे और उनका भगवान पर अटूट विश्वास था भगवान ही उनका सबकुछ था
एक बार गाँव में भयंकर आंधी तूफ़ान आया नदी का जल बढ़ने लगा,बढ़ते हुए पानी को देखकर गाँव वाले सुरक्षित स्थान पर जाने लगे सारा गांव खाली होने लगा
गांव के लोगों ने उन भाइयो को सुरक्षित स्थान पर चलने को कहा, लेकिन दोनों भाइयो ने यह कहकर मना कर दिया कि तुम लोग जाओ हमे हमारे ईश्वर पर पूरा भरोसा है वह हमे कैसे भी बचाने जरुर आएगे
बस धीरे धीरे पूरा गाँव पानी से तलबल –तलबल हो गया और पानी उन दोनों भाइयो के घुटनों तक आने लगा तभी वहां पर एक ट्रक आया और उसमें बैठे व्यक्ति ने उन दोनों भाइयो से ट्रक में आने के लिए कहा लेकिन उन दोनों ने फिर यह कहकर मना कर दिया की हमे तुम्हारे मदद की कोई जरूरत नहीं है हमे हमारा भगवान जरूर बचाने आएगा ट्रक वाला मरो फिर कहकर चला गया
पानी बढ़ने लगा और वे दोनों भाई भगवान को याद करने लगे तभी वहां पर बचाव कार्य का दल आ पंहुचा बचाव दल के एक सदस्य ने कहा जल्दी से आइए आप दोनों मैं आपको सुरक्षित स्थान पर छोड़ दूंगा यहाँ बहुत खतरा है
फिर भी वह दो भाई बिलकुल नही माने और कहने लगे हमे भगवान बचाने जरूर आयेंगे तुम यहाँ से चले जाओ बचावदल का व्यक्ति बोला तुम दोनों पागल तो नहीं हो गए हो मुझे अन्य लोगों को भी सुरक्षित स्थान पर पहुँचाना है समय बर्बाद मत करो जल्दी आओ
वह दोनों भाइयो ने अपनी जिद नहीं छोड़ी आख़िरकार वह नांव वाला अन्य लोगों को बचाने के लिए वहां से चला गया वह दोनों भाई बाढ़ में बह गए वह सोचने लगे भगवान नही आये हमे बचाने और उनकी मृत्यु हो गयी
मरने के बाद वह दोनों भाई जब स्वर्ग पहुंचे तो उन्होंने भगवान से कहा हे प्रभु हमने आपकी सच्ची श्रध्दा भक्ति की थी आप पर इतना विश्वास किया लेकिन आप हमे बचाने नहीं आये क्यों प्रभु ?
फिर भगवान बोले अरे मुर्ख इंसान मैंने तुम्हे बचाने के एक बार नहीं बल्कि कई बार प्रयास किया| तुम्हारे पास लोगों को ट्रक और नावं को किसने भेजा था????? वो मै ही तो था
कहानी की सिख – इंसान इतना मुर्ख है की वह भगवान से सब मांग तो लेता है पर उसके देने का अंदाज़ समझ नही पाता, भगवान तो अज़र अमर है वह किसी भी रूप में या किसी भी समय आ सकते है बस हमे उन्हें समझने की देर होती है