मीकु खरगोश को जाड़े के आगमन का अहसास हो रहा था। उसने सोचा हर साल उसे सर्दी में ठिठुरना पड़ता है क्यों न इस बार दोस्तों के साथ मिलकर अपने लिए एक घर बना ले। इस प्रस्ताव को लेकर वह अपने दोस्तों के पास पंहुचा। पहले वह कालू भालू के पास गया। कालू ने कहा देखो भाई,मेरे पास भगवान का दिया फर का कम्बल है। मुझे किसी घर की जरूरत नहीं फिर में बेकार में क्यों मेहनत करू तुम्हें घर बनाना है तो खुद बनाओ।
उसकी बाते सुन मीकु निराश नहीं हुआ इसके बाद वह मोटू हाथी के पास गया तो मोटू ने भी निराशा भरा जबाब दिया। वह बोला की क्या तुमने सुना है कभी हाथी ने घर बनाया ? लोग हँसेगे हम पर हमारी खाल ऐसी है की हमे सर्दी नहीं लगती। तुम खुद बनाओ अपना घर।
फिर मीकु नन्ही गिलहरी के पास गया वह बोली मीकु भैया वैसे तो हम जाड़े में पेड़ो पर आराम से रहते हैं पर फिर भी में तुम्हारी मदद जरुर करुगी घर बनाने में।
मीकु ने घर बनाना शुरू किया कही से वो लकड़ी लाया कही से औजार दस दिन तक कड़ी मेहनत करने के बाद उसका घर तैयार हो गया। इस बिच नन्ही गिलहरी ने भी उसका खूब साथ दिया। वह उसके लिए खाना लाती कभी कुछ टहनियाँ लाती जब घर तैयार हुआ तो उसमें एक कमरा नन्ही गिलहरी के लिए भी था और दूसरा मीकु के लिए।
अब वो दोनों अपने घर आराम से रहने लगे। एक बार बहुत तेज बारिश शुरू हुई जो तीन चार दिन दिनों तक नही रुकी सभी जानवर इधर –उधर भागने लगे न तो उन्हें खाने के लिए भोजन मिल रहा था और न ही सिर छिपाने की कोई जगह अब कालू भालू और मोटू हाथी को मीकु का घर याद आया। वह दोनों दौड़ कर मीकु के घर के बाहर पहुचें।
नन्ही ने उन्हें बाहर देख कर मीकु से कहा भैया जब तुम्हें इनकी मदद की जरूरत थी तो उन्होंने मना कर दिया था अब तुम इनकी मदद नही करना। मीकु बोला नही नन्ही ये दोस्त है ये अपना फर्ज भूल सकते है,लेकिन में नहीं यह कहकर उसने घर का दरवाजा खोला कालू और मोटू सिर झुकाए अंदर आए और मीकु के गले लग गए।
सीख
दोस्तों एक सच्चा मित्र अपने दोस्त को मुसीबत में नहीं देख सकता। सच्चा मित्र हर मुसीबत में अपने मित्र की हर सम्भव सहायता करने के लिये हमेशा आगे बढ़ता है