10 वीं शताब्दी में जब उदयगिरी विदिशा धार के परमारों के हाथ में आ गया, तो राजा भोज के पौत्र उदयादित्य ने अपने नाम से इस स्थान का नाम उदयगिरि रख दिया।
उदय गिरी की गुफाएँ है :
उदयगिरि में कुलमिला कर 20 गुफाएँ हैं। गुफाओं को काटकर छोटे- छोटे कमरों के रूप में बनाया गया है। साथ- ही- साथ मूर्तियाँ भी बनाई गई थी। आजके समय में वहा मुर्तिया नही देखि जा सकती क्योकि ऐसा यहाँ पाये जाने वाले पत्थर के कारण होता है। यह पत्थर बहुत नरम होते है यह मौसमी प्रभावों को झेलने के लिए उपयुक्त नहीं है।इसलिए मुर्तिया खुद ही नष्ट हो कर विलुप्त हो गई
नक्काशी खुबसुरत की गई है गुफा में :
उदयगिरि की गुफाओं में बेहद खुबसुरत नक्काशी की गई है चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में इन गुफाओं पर काम किया गया। ये गुफाएं विदिशा से 6 किमी दूर बेतवा और वैस नदी के बीच में स्थित है। एकांत स्थान पर पहाड़ी पर स्थित इन गुफाओं में कई बौद्ध अवशेष भी पाए जाते हैं इस गुफा में पाए जाने वाली अधिकांश मूर्ति भगवान शिव और उनके अवतार को समर्पित है।
भगवान विष्णु की भी है मुर्तिया :
गुफा में भगवान विष्णु के लेटे हुए मुद्रा में एक प्रतिमा है, जिसे जरूर देखना चाहिए। पत्थरों को काट कर बनाई ये गुफाएं गुप्त काल के कारीगरों के कौशल और कल्पनाशीलता का जीता जागता उदाहरण है। गुफा का प्रवेश द्वार को देख कर आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकेंगे।