श्री कष्ण हिंदू धर्म के संपूर्ण अवतार कहे जाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि श्री कृष्ण की मृत्यु् कैसे हुई थी? कैसे उनके यदुवंश का नाश हुआ? आइए आपको बताते हैं श्री कृष्ण की मृत्यु् और यदुवंश के विनाश के कारण क्या थे और क्यों हुआ यदु वंश का विनाश।
भगवान ने लिए थे 10 अवतार :
श्री हरि विष्णु 10 अवतारों में इस पृथ्वी पर आ चुके हैं। इनमें मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, मोहिनी अवतार, वराहावतार, नरसिंहावतार, वामन् अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार, कृष्णावतार, यह विष्णु का आखिरी अवतार था, जो पृथ्वी पर अवतरित हुआ, इस अवतार में विष्णु ने अपना विराट धारण किया था।और यह कहा जाता है की इसके बाद भगवान कल्कि अवतार में आएंगे।
श्री कृष्ण की मृत्यु का कारण :
श्री कृष्णु की मृत्यु और उनके संपूर्ण यदुवंश के विनाश का कारण बना कौरवों की मां गांधारी का वह श्राप, जो उन्हों ने महाभारत के युद्ध के बाद श्री कृष्ण को दिया था। गांधारी ने इस पूरे महाभारत के युद्ध के लिए श्री कृष्ण को दोषी ठहराते हुए कहा था- जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ है ठीक उसी प्रकार यदुवंश का भी नाश होगा।
यदु वंश का नाश हुआ ऐसे :
गांधारी के श्राप ने अपना काम किया। श्राप के बाद श्रीकृष्ण जब द्वारिका लौटे तो वे यदुवंशियों को लेकर प्रभास क्षेत्र में पहुंचे लेकिन कुछ दिनों बाद सात्यकि और कृतवर्मा में दोनों झगड़ पड़े।
सात्यकि ने कृतवर्मा का सिर काटा जिसकी परिणिति बड़े युद्ध में सामने आई। सभी समूहों में विभाजित होकर एक-दूसरे को मारने लगे। इसी इस लड़ाई में श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न और मित्र सात्यकि समेत सभी यदुवंशी मारे गए थे, केवल बब्रु और दारूक ही बचे रह गए थे। इस तरह यदुवंश का नाश हो गया।यदुवंश के नाश से कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी ने भी देह त्याग दी।
श्री कृष्ण की हुई मृत्यु :
एक दिन श्रीकृष्ण पीपल के नीचे ध्यान की मुद्रा में थे, तब उस क्षेत्र में एक जरा नाम के बहेलिए ने जो वहां हिरण के शिकार के लिए आया था, श्रीकृष्ण के पैरों के तलवों को हिरण का मुख समझ कर तीर चला दिया। तीर श्रीकृष्ण के तलवे में जाकर लगा।इसके बाद जरा को बहुत पश्चाताप हुआ और उसने जब क्षमायाचना की तो श्रीकृष्ण ने बहेलिए से कहा कि तूने वही काम किया है, जो विधि में नियत था। अब तू मेरी आज्ञा से स्वर्गलोक प्राप्त करेगा।
इस तरह सभी रानियों ने भी त्यागा देह :
श्रीकृष्ण और बलराम की देह समाप्त हो जाने के बाद उनके प्रियजनों ने दुख से प्राण त्याग दिए। देवकी, रोहिणी, वसुदेव, बलरामजी की पत्नियां, श्रीकृष्ण की सभी पत्नियां आदि सभी ने देह का त्याग कर दिया।