आज हम आपको एक ऐसे ही किले ‘गागरोन’ के बारे में बताएंगे। जो चारों ओर पानी से घिरा हुआ है। यही नहीं ये भारत का एकमात्र ऐसा किला है जिसकी नींव ही नहीं है।राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित ये किला चारों ओर पानी से घिरा हुआ है। कहते है यहाँ सैकड़ों की तादाद में महिलाओं ने मौत को गले लगा लिया था।
झालावाड़ जिले में सैकड़ों वर्षों पहले जब यहां के शासक अचलदास खींची मालवा के शासक होशंग शाह से पराजय हो गए थे तब यहां की राजपूत महिलाओं ने खुद को दुश्मनों से बचाने के लिए खुदको जिंदा जला लिया था
यह किला वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल किया है।गागरोन किले का निर्माणी कार्य डोड राजा बीजलदेव ने बारहवीं सदी में करवाया था और 300 साल तक यहां खीची राजा रहे थे। ये उत्तरी भारत का एकमात्र ऐसा किला है जो चारों ओर पानी से घिरा हुआ है इस कारण इसे जलदुर्ग के नाम से भी जाना जाता है।
यह दुर्ग मुसलमानों के पास ही रहा, लेकिन न जाने किस भय या आदर से किसी ने भी अचलदास खींची के शयनकक्ष में से उसके पलंग को हटाने या नष्ट करने का साहस नहीं किया। 1950 तक यह पलंग उसी जगह पर लगा रहा था। कहा जाता है की कई दिनों तक आती रहीं पलंग पर राजा के सोने और हुक्का पीने की आवाज । उस समय लोगों की मान्यता थी कि राजा हर रात यहा पर आकर इस पलंग पर शयन करते हैं। रात को कई लोगों ने इस कक्ष से किसी के हुक्का पीने की आवाजें सुनी।
यहा पर हर शाम पलंग पर लगे बिस्तर को साफ कर, व्यवस्थित करने का काम राज्य की ओर एक नाई करता रहता था और उसे हर रोज सुबह पलंग के सिरहाने पांच रुपए रखे भी मिलते थे। कहते हैं एक दिन रुपए मिलने की बात नाई ने किसी से कह दी। तबसे रुपए मिलने बंद हो गए थे।