बद्रीनाथ मंदिर , जिसे बद्री नारायण भी कहते हैं, अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के रूप बद्रीनाथ को समर्पित है। यह हिन्दुओं के चार धाम में से एक धाम भी है। ऋषिकेश से यह 294 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित है।यहाँ की मान्यता है कि बद्रीनाथ में भगवान शिव को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी। जिसे आज ब्रह्म कपाल के नाम से जाना जाता है। ब्रह्मकपाल एक ऊंची शिला है जहां पितरों का तर्पण किया जाता है।
करने चाहिएँ बद्रीनाथ के दर्शन:
प्रत्येक हिन्दू की यह कामना होती है कि वह बद्रीनाथ का दर्शन एक बार अवश्य ही करे। यहाँ पर शीत के कारण अलकनन्दा में स्नान करना अत्यन्त ही कठिन है। अलकनन्दा के तो दर्शन ही किए जाते हैं। यात्री तप्तकुण्ड में स्नान करते हैं। यहाँ वनतुलसी की माला, चने की कच्ची दाल, गिरी का गोला और मिश्री आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है।यहाँ बद्रीनाथ के पुजारी शंकराचार्य के वंशज होते हैं जो रावल कहलाते हैं। यह जब तक रावल के पद पर रहते हैं इन्हें ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। रावल के लिए स्त्रियों का स्पर्श भी पाप माना जाता है। पुराणों में बताया गया है कि बद्रीनाथ में हर युग में बड़ा परिवर्तन होता है। सतयुग तक यहां पर हर व्यक्तिको भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन हुआ करते थे। इसलिए शास्त्रों में बताया गया है कि मनुष्य को जीवन में कम से कम एक बार बद्रीनाथ के दर्शन जरूर करना चाहिए।
दो पर्वतों के बीच बसा है:
- बद्रीनाथ धाम दो पर्वतों के बीच बसा है जिसे नर नारायण पर्वत कहा जाता है। कहते हैं यहां पर भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण ने तपस्या की थी। नर अगले जन्म में अर्जुन और नारायण श्री कृष्ण हुए।
- बद्रीनाथ की यात्रा में दूसरा पड़ाव यमुनोत्री है। यह है देवी यमुना का मंदिर। यहां के बाद केदारनाथ के दर्शन होते हैं। मान्यता है कि जब केदारनाथऔर बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं उस समय मंदिर एक दीपक जलता रहता है।इस दीपक के दर्शन का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि 6 महीने तकबंद दरवाजे के अंदर इस दीप को देवता जलाए रखते हैं।
- जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर। इस मंदिर का संबंध बद्रीनाथ से माना जाता है। ऐसी मान्यता है इस मंदिर भगवान नृसिंह की एक बाजू काफी पतली है जिस दिन यह टूट कर गिर जाएगा उस दिन नर नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे और बद्रीनाथ के दर्शन वर्तमान स्थान पर नहीं हो पाएंगे।
- इसके अलावा यह मंदिर काफी चमत्कारिक भी माना जाता है और कई पहुंचे हुए साधक यहाँ पर तपस्या करते हुए मिल जाते है।
बद्रीनाथ के दर्शनीय स्थल हैं-
- लकनंदा के तट पर स्थित तप्त-कुंड
- चरणपादुका :- जिसके बारे में कहा जाता है कि यह भगवान विष्णु के पैरों के निशान है
- बदरीनाथ से नज़र आने वाला बर्फ़ से ढंका ऊँचा शिखर नीलकंठ।
- धार्मिक अनुष्टानों के लिए इस्तेमाल होने वाला एक समतल चबूतरा- ब्रह्म कपाल
- पौराणिक कथाओं में उल्लिखित सांप (साँपों का जोड़ा)
- शेषनाग की कथित छाप वाला एक शिलाखंड
- माता मूर्ति मंदिर ,जिन्हें बद्रीनाथ भगवान जी की माता के रूप में पूजा जाता है।
आदि देखने लायक है।