Hanuman Ji Ki Aarti in Hindi
श्री हनुमानजी की आरती – रूद्र अवतार कहे जाने वाले श्री हनुमान जी को प्रभु राम के परम भक्त के रूप में जाना जाता है। इन्हे ही अंजनी के लाल, केसरी नंदन, बजरंगबली, संकटमोचन व पवनपुत्र हनुमान के नामों से जाना जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार बजरंगबली का जन्म चैत्र महीने की पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र में हुआ था।
जो मनुष्य इस कलयुग में बजरंगबली जी की पूजा-आराधना व मंगलवार का व्रत पूर्ण भक्ति भाव से करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पवनपुत्र अवश्य ही पूरी करते है।
यदि आप श्री पवनपुत्र हनुमान जी को प्रसन्न कर अपने सभी कष्ट दूर करना चाहते है तो हनुमान जी की पूजा आरम्भ करते समय जय श्री राम का जयकारा लगाना चाहिए तथा उसके बाद हनुमान चालीसा (जय हनुमान ज्ञान गुण सागर …), बजरंग बाण, संकटमोचन हनुमान अष्टक (यहाँ पढ़ें Hanuman Ashtak in Hindi), हनुमान जी के मंत्र आदि का पाठ कर अंत में धुप-दीप के साथ हनुमान जी की आरती (आरती कीजे हनुमान लला की…) करनी चाहिए।
कैसे करें हनुमान जी की आरती – Hanuman Aarti Vidhi
- सबसे पहले आरती के लिए एक थाल तैयार करें।
- थाल में रूई से बनी बत्ती वाला घी का दीपक व लाल रंग के पुष्प होने चाहिए।
- बत्तियों की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारा या इक्कीस में से कोई भी रख सकते है।
- आप चाहें तो कपूर से भी आरती कर सकते है।
- आरती बोलना शुरू करने से पहले 3 बार शंख जरुर बजाना चाहिए। शंख बजाते समय पहले धीरे स्वर से शुरू करते हुए ऊपर की और मुख ले जाये और स्वर तेज कर लेना चाहिए।
- आरती में दिए गए शब्दों का सही उच्चारण करना चाहिए इसके लिए आप चाहें तो किसी विद्वान पंडित से सही उच्चारण सीख सकते है।
आरती से पहले ये मंत्र उच्चारण करें:
–अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् |
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ||अर्थ – अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान्जी को मैं प्रणाम करता हूँ॥
श्री हनुमान लला की आरती Aarti Kije Hanuman Lala Ki..
आरति कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपै। रोग-दोष जाके निकट न झांपै।।
अंजनी पुत्र महा बलदाई। संतन के प्रेम सदा सहाई।। आरति कीजै हनुमान लला की…
दे बीरा रघुनाथ पठाये। लंका जारि सिया सुधि लाये।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।। आरति कीजै हनुमान लला की…
लंका जारि असुर संहारे। सिया रामजी के काज संवारे।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि सजीवन प्रान उबारे ।। आरति कीजै हनुमान लला की…
पैठि पताल तोरि जम-कारे। अहिरावन की भुजा उखारे।।
बायीं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संत जन तारे।। आरति कीजै हनुमान लला की…
सुर नर मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।।
कचंन थाल कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।। आरति कीजै हनुमान लला की…
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसि बैकुंठ परम पद पावै।।
लंक विध्वंस किये रघुराई। तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई।।
आरति कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।