बेल के पेड़ की पत्तियों को बेलपत्र कहते हैं। बेलपत्र में तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं लेकिन इन्हें एक ही पत्ती मानते हैं। भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र प्रयोग होते हैं और इनके बिना शिव की उपासना सम्पूर्ण नहीं होती। ज्योतिष के जानकारों की मानें तो भगवान शिव के पूजन में बेलपत्र का विशेष महत्व है। शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से प्रसन्न होते हैं महादेव। मान्यता है कि शिव की उपासना बिना बेलपत्र के पूरी नहीं होती। अगर आप भी देवों के देव महादेव की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो बेलपत्र के महत्व को समझना बेहद ज़रूरी है।
बेलपत्र और शिव :
भगवान शंकर को बेलपत्र बेहद प्रिय हैं। भांग धतूरा और बिल्व पत्र से प्रसन्न होने वाले केवल शिव ही हैं। शिवरात्रि के अवसर पर बेलपत्रों से विशेष रूप से शिव की पूजा की जाती है। तीन पत्तियों वाले बेलपत्र आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं, किंतु कुछ ऐसे बिल्व पत्र भी होते हैं जो दुर्लभ पर चमत्कारिक और अद्भुत होते हैं।
बेलपत्र ऐसे होने चाहिए शिव पूजा में :
- एक बेलपत्र में तीन पत्तियां होनी चाहिए।
- पत्तियां कटी या टूटी हुई न हों और उनमें कोई छेद भी नहीं होना चाहिए।
- भगवान शिव को बेलपत्र चिकनी ओर से ही अर्पित करें।
- एक ही बेलपत्र को जल से धोकर बार-बार भी चढ़ा सकते हैं।
- शिव जी को बेलपत्र अर्पित करते समय साथ ही में जल की धारा जरूर चढ़ाएं।
- बिना जल के बेलपत्र अर्पित नहीं करना चाहिए।