एक बार दो मित्र व्यापार करने जाते हैं उनके पास चार सौ रूपये होते हैं। एक मित्र चतुर होता है तथा दूसरा मित्र मूर्ख। चतुर मित्र भैंस खरीदने की सलाह देता है दूसरा मित्र मान जाता है। कुछ समय पश्चात चतुर मित्र कहता है कि हम इस भैंस का बंटवारा कर लेते हैं, मूर्ख मित्र कहता है ठीक है।
चतुर मित्र कहता है – आज से आगे के हिस्से की तुम सेवा करोगे और पीछे के हिस्से की में करूंगा मूर्ख मित्र मान जाता है वह भैंस को घास खिलाता लेकिन दूध चतुर मित्र ले जाता है।
एक दिन मूर्ख मित्र ने देखा कि उसका मित्र भैंस को दोह रहा है। तब उसने भैंस के मुँह पर लकड़ी मारनी शुरू कर दी भैंस ने दूध देना बंद कर दिया। चतुर मित्र ने पूछा कि तुम उसे क्यों मार रहे हो…? फिर मूर्ख मित्र कहने लगा आगे का हिस्सा मेरा है मैं जो मर्जी करूं। इस पर चतुर मित्र को पश्चाताप हुआ और दोनों पुनः मिलकर भैंस की सेवा करने लगे।