क्या खूब कहा हैं – तकदीर के खेल से निराश नहीं होते, ज़िन्दगी में कभी उदास नहीं होते, हाथों की लकीरों पे यकीन मत करना, तकदीर तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते.. महज 11 साल के टियो सटेरियो को देख कर किसी को यकीन नहीं होता कि वह बिना हाथ पैर के भी एक आम लोगो की तरह अपने सभी काम खुद कर सकता हैं।
जहाँ लोग छोटी-छोटी परेशानियों से तंग आकर आत्महत्या कर लेते हैं वही दुनिया में ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो बड़ी से बड़ी परेशानियों में भी खुशी से जीवन जीने का हुनर रखते हैं। इस पोस्ट के जरिए हम इंडोनेशिया के 11 वर्षीय टियो के बारे बताने जा रहे हैं जिसके ना तो हाथ हैं और ना ही पैर। फिर भी वो अपनी ज़िन्दगी कैसे हम लोगों की तरह ही जीता हैं। अगर आप भी टियो के बारे में जानना चाहते हैं तो नीचे पोस्ट में पढ़े …..
जन्म से नही हैं हाथ पैर
टियो इंडोनेशिया के पेनवॉनगन गाँव में रहता हैं। जब वह पैदा हुआ था तो इसकी माँ को तीन चार दिन तक भी नहीं बताया गया था कि उनके बेटे के हाथ पैर नही हैं। टियो की माँ को अंदाज़ा भी नही था कि उनका बच्चा ऐसा होगा लेकिन किस्मत पर किसी का जोर नही चलता।
टियो के माता-पिता का हैं ये कहना
जब टियो बड़ा हुआ तो वह पढ़ने में बहुत ही तेज़ निकला और इतना ही नही ड्रेसअप को छोड़ कर अपने सारे काम वो खुद ही करता हैं। टाइम से स्कूल जाता हैं। टियो की टीचर ने बताया की वह पढ़ने में बहुत ही तेज़ हैं । उसका गणित बहुत ही अच्छा हैं और मुंह से लिखने के बावजूद भी उसकी लिखावट बहुत सुंदर हैं।
कंप्यूटर गेम्स खेलने का हैं शौकीन
अपने खाली समय में वह कंप्यूटर पर गेम्स खेलना पसंद करता हैं ।अपनी ठुड्डी की मदद से अपने गेम को कंट्रोल करता हैं।
रोज करते हैं चुनौतियों का सामना
पहले तो सरकार ने भी टियो की सहायता की लेकिन बाद में सरकार भी पीछे हट गई । जिसकी वजह से टियो को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। स्थानीय प्रसाशन से भी ये लोग कई बार मदद मांग चुके हैं लेकिन कोई कुछ नही करता। टियो के पिता बताते है कि टियो की देख रेख में कोई कमी ना रहे इसलिए हम दोनों पति पत्नी कहीं भी कोई काम नहीं कर सकते।