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तो ये थे चाणक्य के अनमोल विचार –
- यदि माता दुष्ट है तो उसे भी त्याग देना चाहिए।
- यदि स्वयं के हाथ में विष फ़ैल रहा है तो उसे काट देना चाहिए।
- कल के मोर से आज का कबूतर भला। अर्थात संतोष ही सबसे बड़ा धन है।
- अपने स्थान पर बने रहने से ही मनुष्य पूजा जाता है।
- सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है।
- अपने से अधिक शक्तिशाली और समान बल वाले से शत्रुता न करे।
- दुष्ट स्त्री बुद्धिमान व्यक्ति के शरीर को भी निर्बल बना देती है।
- राज्य का आधार अपनी इन्द्रियों पर विजय पाना है।
- जो धैर्यवान नहीं है, उसका न वर्तमान है न भविष्य।
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