पहले तो यह जान लिजिये की ग्रहण क्या है? दरअसल जब एक खगोलीय पिंड पर दूसरे खगोलीय पिंड की छाया पड़ती है, तब ग्रहण होता है। हर साल हमें सूर्य व चंद्र ग्रहण दिखाई देते हैं, जो पूर्ण व आंशिक समेत कुछ प्रकार के होते हैं।
चन्द्र ग्रहण
जब पृथ्वी सूर्य एवं चंद्रमा के बीच आ जाती है तब यह चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों को रोकती है और उसमें अपनी छाया बनाती है। इस घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है।
साल 2018 का पहला चंद्रग्रहण कल यानी बुधवार को लगेगा यह पूर्ण ग्रहण होगा, जोकि 31 जनवरी को होगा और यह भारत में नजर आएगा चंद्रग्रहण के दौरान पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा के बीच में आ जाती है और पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है।
ग्रहण के पीछे है एक पौराणिक कथा भी…
पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन से उत्पन्न अमृत को दानवों ने देवताओं से छीन लिया। इस दौरान भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण करके दानवों से अमृत ले लिया और उसे देवताओं में बांटने लगे।
लेकिन भगवान विष्णु की इस चतुराई को राहु नाम के असुर ने भाप लिया वह देव रूप धारण कर देवताओं के बीच बैठ गया। जैसे ही राहु ने अमृतपान किया, उसी समय सूर्य और चंद्रमा ने उसका यह छल पकड लिया। उसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन च्रक से राहु की गर्दन को उसके धड़ से अलग कर दिया।
अमृत के प्रभाव से उसकी मृत्यु नहीं हुई इसलिए उसका सिर व धड़ राहु और केतु छायाग्रह के नाम से सौर मंडल में स्थापित हो गए। माना जाता है कि राहु और केतु इसी कारण सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण के रूप में शापित करते हैं।
भारत के हर हिस्से में दिखेगा पूर्ण चंद्रग्रहण…
पूर्ण चंद्रग्रहण को भारत के हर हिस्से में देखा जा सकता है, चंद्रग्रहण शाम 5 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा।
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