ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हाथ की रेखाओं में हमारे जीवन के भावी संकेत मिलते हैं, इसे हम हस्तरेखा के रूप में जानते हैं।
ऐसा माना जाता है कि 16 वर्ष की आयु तक पहुंचते-पहुंचते हाथ की रेखाओं में लगातार परिवर्तन होता रहता है। इसके बाद इन रेखाओं का प्रभाव जीवन में नजर आने लगता है।तो आइए जानें कौन सी रेखा का क्या परिणाम देती है।
1.यह रेखा बताती है बौद्धिक स्तर
हथेली में एक मस्तिष्क रेखा होती है जो व्यक्ति के मानसिक स्तर और बुद्धि के विश्लेषण, सीखने की विशिष्ट विधा, संचार शैली और विभिन्न क्षेत्रों के विषय मे जानने की इच्छा को दर्शाती है।
मस्तिष्क रेखा का आरंभ तर्जनी उंगली के नीचे से होता हुआ हथेली की दूसरी तरफ जाता है जब तक उसका अंत न हो। यह रेखा, जीवन रेखा के आरंभिक बिन्दु को स्पर्श करती है।
2. यह रेखा बताती है हृदय के भाव
हथेली में एक हृदय रेखा होती है जो व्यक्ति के प्राकृतिक और मनोवैज्ञानिक स्तर को दर्शाती है। यह रोमांस, भावनाओं, मनोवैज्ञानिक सहनशक्ति, भावनात्मक स्थिरता और अवसाद के बारे में बताती है। साथ ही साथ हृदय संबंधी विभिन्न पहलुओं की भी व्याख्या करती है।
हृदय रेखा, कनिष्ठा उंगली के नीचे से हथेली को पार करती हुई तर्जनी उंगली के नीचे समाप्त होती है। यह हथेली के ऊपरी हिस्से में उंगलियों के ठीक नीचे होती है।
3.यह रेखा बताती है शारीरिक क्षमता
हाथ में एक जीवन रेखा भी होती है यह रेखा व्यक्ति की शारीरिक शक्ति और जोश को दर्शाती है। इसके अलावा यह रेखा शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की भी व्याख्या करती है। शारीरिक सुदृढ़ता और महत्वपूर्ण अंगों के साथ समन्वय, रोग प्रतिरोधक क्षमता और स्वास्थ्य का विश्लेषण करती है।
जीवन रेखा अंगूठे के आधार से निकलती हुई, हथेली को पार करते हुए वृत्त के आकार मे कलाई के पास समाप्त होती है।
4. व्यक्ति का भाग्य बताती है यह रेखा
आपकी हथेली में एक भाग्य रेखा भी होती है। यह रेखा व्यक्ति के शिक्षा से संबंधित निर्णय, करियर विकल्प, जीवन साथी का चुनाव और जीवन मे सफलता एवं विफलता आदि के बारे में बताती है।
भाग्य रेखा कलाई से आरंभ होती हुई चंद्र पर्वत से होते हुए जीवन रेखा या मस्तिष्क या हृदय रेखा तक जाती है।
5. आपकी प्रसिद्धि बताती है यह रेखा
हथेली में एक सूर्य रेखा होती है यह रेखा व्यक्ति के जीवन में प्रसिद्धि, सफलता और प्रतिभा के बारे में बताती है। सूर्य रेखा को अपोलो रेखा, सफलता की रेखा या बुद्धिमत्ता की रेखा के नाम से भी जाना जाता है।
यह रेखा कलाई के पास चंद्र पर्वत से निकलकर अनामिका तक जाती है।
6. आपका स्वास्थ्य बताती है यह रेखा
आपकी हथेली में एक स्वास्थ्य रेखा भी होती है इस रेखा के जरिये लाइलाज बीमारी के बारे में जाना जा सकता है। इससे व्यक्ति के सामान्य स्वास्थ्य की भी जानकारी मिलती है।
स्वास्थ्य रेखा को बुध रेखा के रूप में भी जाना जाता है। यह कनिष्ठा के नीचे बुध पर्वत से आरंभ होकर कलाई तक जाती है।
7. यात्रा के बारे में बताती है यह रेखा
यह रेखाएं व्यक्ति की यात्रा की अवधि की व्याख्या, यात्रा में बाधाओं और सफलता का सामना तथा यात्रा में व्यक्ति के स्वास्थ्य की दशा को भी दर्शाती है।
यह क्षैतिज रेखाएं कलाई और हृदय रेखा के बीच हथेली के विस्तार पर स्थित है।
8. विवाह का योग बताती है यह रेखा
हथेली में एक विवाह रेखा भी होती है। रेखा रिश्तों में आत्मीयता, वैवाहिक जीवन में खुशी, वैवाहिक दंपत्ति के बीच प्रेम और स्नेह के अस्तित्व को दर्शाती है। विवाह रेखा का विश्लेषण करते समय शुक्र पर्वत और हृदय रेखा को भी ध्यान मे रखना चाहिये।
क्षैतिज रेखाएं, कनिष्ठा के बिल्कुल नीचे और हृदय रेखा के ऊपर स्थित विवाह रेखा कहलाती है।
9.यह रेखा बताती है संवेदनशीलता और उग्रता
हथेली में एक शुक्र रेखा होती है। इसे गर्डल रेखा भी कहते हैं। यह रेखा व्यक्ति को अति संवेदनशील और उग्र बनाती है। जिन व्यक्तियों में गर्डल या शुक्र रेखा पाई जाती है वह व्यक्ति की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है।
करधनी रेखा का आरंभ अर्धवृत्त आकार में कनिष्ठा और अनामिका उंगली के मध्य में और अंत मध्यमा अंगुली और तर्जनी पर होता है।
10.धैर्यता बताती है यह रेखा
हथेली में एक सिमीयन रेखा होती है। यह एक दुर्लभ रेखा है, मस्तिष्क और हृदय के संयोजन का प्रतिनिधित्व करती है। यह सिमीयन रेखा व्यक्ति मे मानसिक धैर्य और संवेदनशीलता को दर्शाती है।
यह रेखा हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा को गठित करती है। सिमीयन रेखा, सिमीयन फोल्ड, सिमीयन क्रीज और ट्रांस्वर्स पाल्मर क्रीज़ के रुप में भी जानी जाती है।