मध्यप्रदेश के देवास जिले के गाँव गंधर्वपुरी को श्रापित गाँव माना जाता है। यह गाँव प्राचीनकाल में राजा गंधर्वसेन के श्राप से पूरा पाषाण में बदल गया था। यहां का हर व्यक्ति, पशु और पक्षी सभी श्राप से पत्थर के हो गए थे। फिर पूरी नगरी जमीन में दफन हो गई।
यहाँ के लोगों के अनुसार गंधर्वसेन, के श्राप से पूरी गंधर्व नगरी पाषाण की हो गई थी। कहते हैं कि गंधर्वसेन ने चार विवाह किए थे। उनकी पत्नियाँ चारों वर्णों से थीं। क्षत्राणी से उनके तीन पुत्र हुए सेनापति शंख, राजा विक्रमादित्य तथा ऋषि भर्तृहरि।
लोगों का कहना है की इस नगरी के राजा की पुत्री ने राजा की मर्जी के खिलाफ गधे के मुख वाले गंधर्वसेन से विवाह रचाया था। गंधर्वसेन दिन में गधे बनते थे और रात में गधे की खोल उतारकर राजकुमार बन जाते थे।
जब एक दिन राजा को इस बात का पता चला तो उन्होंने रात को उस चमत्कारिक खोल को जलवा दिया, जिससे गंधर्वसेन भी जलने लगे तब जलते-जलते उन्होंने राजा सहित पूरी नगरी को श्राप दे दिया कि जो भी इस नगर में रहते हैं, वे पत्थर के हो जाएं।