अकबर और बीरबल के रोचक किस्से में आज हम आपके लिए लाये हैं “घड़े में बुद्धि”। इस कहानी में आप जानेंगे कैसे बीरबल अपनी चतुराई से श्रीलंका के राजा को घड़े में बुद्धि भरकर भेज देता हैं।
इससे पहले आप पढ़ चुके हैं “सेठ बने पहरेदार सिर पर बांध पायजामा” । अगर आपने ये मज़ेदार किस्सा नहीं पढ़ा हैं तो आप यहाँ पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं ।
एक बार श्रीलंका के राजा ने अपने दूत को राजा अकबर के दरबार में भेजा और उससे कहा कि वह राजा अकबर से कहे की हमें एक घड़े में बुद्धि भरकर भेज दें। दूत ने अपने राजा के कहे अनुसार अकबर से कहा- महाराज! आपके महल में बहुत से बुद्धिमान लोग अपनी बुद्धिमता के लिए विख्यात हैं इसलिए हमारे महाराज ने आपके महल से एक घड़े में बुद्धि मांगी हैं।
दूत की ये बात सुन महल में बैठे सभी मंत्री और राजा, ‘दूत को आश्चर्य से देखने लगे और पूरे दरबारी और मंत्री एक दूसरे से बातें करने लगे की ये कैसा निवदेन हैं। इतने में राजा अकबर ने दूत से कहा- क्या श्रीलंका के राजा हमें पागल बनाना चाहते हैं? ऐसा कैसे हो सकते हैं? घड़े में बुद्धि कैसे जा सकती हैं ?
राजा अकबर की बात सुनकर बीरबल बोले- महाराज! हम घड़े में बुद्धि भेज देंगे मगर उसमे कुछ समय लगेगा दूत ने कहा ठीक हैं हम इंतज़ार कर लेंगे लेकिन बुद्धि घड़े में ही देनी पड़ेगी।
बीरबल ने घर जाकर अपने सेवक से छोटे मुहँ वाले घड़े लाने को कहा। सेवक एक दर्जन घड़े लेकर आ गया ।फ़िर उन्हें ऐसे खेत में ले जाया गया जहाँ पर कद्दू लगे थे । बीरबल भी उस खेत में पहुँच गए और छोटे छोटे कद्दू ढूंढकर उन्हें घड़े के अंदर डाल दिया और खेत के किसान को आदेश दिया की इन घड़ों को जब तक न छेड़ा जाए जब तक की वो खुद आदेश ना दे दें।
कुछ दिनों बाद बीरबल से बुद्धि के घड़े के बारे में पूछा गया तो बीरबल ने कहा महाराज अभी घड़ों में बुद्धि भरने में कुछ सप्ताह का समय और लगेगा जब तक घड़े में बुद्धि अच्छी तरह भर जाएगी।
कुछ सप्ताह बाद बीरबल घड़े की जाँच करने गए तो उन्होंने देखा की कद्दू अब बिल्कुल घड़े के आकार के हो चुके हैं तो बीरबल ने अपने सेवक से सावधानीपूर्वक उन घड़ों को पौधों से अलग करने के लिए कहा और उन्हें दरबार में पहुँचाने का आदेश दिया ।
बीरबल के कहने पर श्रीलंका के दूत को दरबार में बुलाया गया । बीरबल ने उसमें से एक घड़ा उठाकर दूत को दे दिया। घड़ा कपडे से ढका हुआ था। घड़ा देते वक़्त बीरबल ने दूत से कहा अपने महाराज से कहना की बुद्धि निकालकर हमारा घड़ा हमें ऐसे ही लौटा दिया जाए और वो कहीं से टूटे फूटे ना,नहीं तो बुद्धि का फल लाभकारी नहीं होगा ।
यह बात सुनकर दूत ने बड़ी जल्दी घड़े के अंदर देखा और पीछे हट गया ।
बीरबल ने अपनी बात को पूरी करते हुए कहा अपने महाराज से ये भी कहना की हमारे पास ऐसे और भी घड़े हैं अगर उन्हें जरुरत हो तो शीघ्र ही मंगा लें ।नहीं तो क्या पता कोई जरुरतमंद उन्हें मंगा लें।
दूत ने सोचा की उसके महाराज को इन्हें ऐसी चुनौती नही देनी चाहिए थी क्योंकि बीरबल ने उन्हें अपनी बुद्धि द्वारा पराजित कर दिया था ।यह सोचते हुए दूत ने चुपचाप घड़ा उठाया और वहां से चला गया।
दूत के जाने के बाद राजा अकबर ने भी बुद्धि के घड़े को देखने की इच्छा जताई तो बीरबल ने उन्हें वो घड़ा दिखाया ।घड़ा देखते ही राजा हँस पड़े क्योंकि उस के अंदर कद्दू था ।
राजा अकबर ने कहा -बीरबल तुम ने श्रीलंका के राजा को सच में ऐसी बुद्धि भेजी हैं जिसे वो ज़िन्दगी भर नही भूल पाएंगे।