शराब पीना वैसे तो बुरा ही माना जाता है पर इनके यहाँ दारू के बिना नही होती शादियाँ ,छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में तो सास खुद अपने होने वाले दामाद को शराब पिलाती है कवर्धा जिले में एक अनूठी परंपरा है बिना दारू पिलाए कोई भी रस्म पूरी नहीं होती है और बिना दारू के पिलाए शादी भी नहीं होती।
क्या है प्रथा:
पुराने ज़माने से चली आ रही दूल्हा- दुल्हन को दारू पिलाने की प्रथा बैगा-आदिवासियों द्वारा विवाह में की जाती है यह इनकी बहुत ही जरुरी एक रस्म है जो दूल्हे को दुल्हन की मां शराब पिलाकर यह रस्म की शुरुआत करती है और इसके बाद पूरा परिवार दारू पिता है,बैगा-आदिवासियों का समुदाय पूरी तरह से अलग है,इस समुदाय में शादी-ब्याह से लेकर मातम में भी शराब का सेवन किया जाता है।
सासु माँ पिलाती है दारू दुल्हे को:
बैगा-आदिवासियों के विवाह में दूल्हे को दुल्हन की मां शराब पिलाकर रस्म की शुरुआत करती है और इसके बाद पूरा परिवार इसका सेवन करता है दूल्हा और दुल्हन भी एक-दूसरे को शराब पिलाकर इस परंपरा का निर्वहन करते हैं. इसके बाद पूरे गांव में शादी का जश्न मनाया जाता है।
प्रचलित है आज भी बैगा-आदिवासीयो में:
- शादी में बाराती और घराती तो शराब पीते ही हैं, साथ ही दूल्हा-दुल्हन को भी शराब का शगुन करना बेहद जरूरी होता है
- दूल्हा और दुल्ह भी एक-दूसरे को शराब पिलाते हैं
- शादी में कोई पंडित नहीं होता और न ही कोई विशेष सजावट होती है
- दहेज प्रथा भी नही होती है केवल महुए से बनी शराब ही यहां पीने और पिलाने का रीतिरिवाज है
- परिवार का मुखिया शादी का खर्च सिर्फ 22 रुपये ही लेता है
- बैगा समाज में शादी कर दुल्हन लाने के लिए आज भी पूरी बारात मीलों दूर पैदल चलकर जाती है