कौन
इतने उचे नील गगन में ,
तारो को चमकाता कौन?
साँझ सवेरे पूर्व दिशा में,
सूरज चाँद उगाता कौन?
ये पर्वत ये नदियाँ-सागर ,
किसने यहाँ बनाए है
वृक्ष लताए –पौधे सुंदर
किसने यहाँ उगाए है?
कौन बहाता पवन सदा
बादल रिमझिम बरसात है?
बारी-बारी से ऋतूओ को
कौन जगत में लाता है?
जिस प्रभु की यह लीला सारी
उसको शीश झुकाए हम
उसके इस जगत को और सुन्दर बनाए हम