आपने बड़े से पेट वाले हँसते हुएं मोटे से लाफिंग बुद्धा की मूर्ति तो जरूर देखी होगी।जिसे गुड लक का प्रतीक स्वरूप माना जाता है। पर आप ये जानते है की उन्हें गुड लक का प्रतीक स्वरूप क्यों माना जाता है? तो चलिए अगर आपको उनके बारे में नहीं पता तो आज हम आपको बताने जा रहे है। नीचे पढ़िए लाफिंग बुद्धा यानि के “गुड लक के प्रतीक” से जुडी कुछ रोचक बाते….
भगवान के प्रति आस्था तो हम सभी ही रखते है। लेकिन कुछ ऐसे भी होते है जिन्हें भगवान में जरा भी विश्वास नही होता भगवान के प्रति आस्था न केवल हम भारतीयों में है।बल्कि विदेशो में भी देखा जाता है वो भी अपने जीवन में सुख-समृद्धी की प्राप्ति के लिए अपने देवी-देवता को पूजते है।
हर देश हर जाती धर्म के लोग अपने-अपने तरिके से अपने-अपने देवताओ के प्रति आस्था भाव रखते है।उन्ही में से एक देवता लाफिंग बुद्धा है।जो बौद्धिस्ट धर्म के आस्था का प्रतीक स्वरूप हैं।आप बौद्ध धर्म के बारे में तो जानते ही होंगे जिसमे संसारिक मोह-माया छोड़ कर ज्ञान प्राप्ति की जाती है और जो ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं वह बौद्ध कहलाते हैं।
लाफिंग बुद्धा भी एक बौद्ध थे..
दरअसल लाफिंग बुद्धा भी एक बौद्ध थे। मान्यता के अनुसार महात्मा बुद्ध के शिष्य जो जापान के थे। उनका नाम “होतेई” था। जब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।तब वे जोर-जोर से हंसने लगे। और उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया लोगो को हंसाना और खुश देखना।
लोग उन्हें हंसता हुआ बुद्धा कहने लगे..
वह जिस जगह भी जाते वहां लोगों को खूब हंसाते इसी कारण जापान और चीन के लोग उन्हें हंसता हुआ बुद्धा कहने लगे। यानि के लाफिंग बुद्धा।लोग उन्हें भगवान की तरह पूजने और उनके प्रति आस्था भाव रखने लगे जिसके चलते चीन और जापान में लाफिंग बुद्धा की मूर्ति को गुड लक का प्रतिक माना जाने लगा, अब तो यह भारत में भी काफी प्रचलित हो गए है।कहा जाता है जिस घर में लाफिंग बुद्धा की मूर्ति होती है। उस घर के लोगो के जीवन में लाफिंग बुद्धा खुशहाली और समृद्धी लाते है।