पुराण में इस बात का उल्लेख है कि श्री कृष्ण ने स्वयं अपने पुत्र सांबा को कोढ़ी होने का श्राप दिया था। श्री कृष्ण ने ऐसा क्यों किया तथा इसके पीछे की कहानी नीचे पढ़िए।
कथा के अनुसार –
निषादराज के राजा जामवंत की पुत्री जामवंती थी। जामवंत वे है जो रामायण और महाभारत दोनों काल में उपस्तिथ थे। ग्रंथों के अनुसार बहुमूल्य मणि हासिल करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण और जामवंत में 28 दिनों तक युद्ध चला था ।
युद्ध के दौरान जब जामवंत ने कृष्ण के स्वरूप को पहचान लिया तब उन्होंने मणि समेत अपनी पुत्री जामवंती का हाथ भी उन्हें सौंप दिया। तब उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई कृष्ण और जामवंती के पुत्र का नाम ही सांबा था। जो बहुत ही सुंदर और आकर्षक था कृष्ण की कई रानियाँ भी उसपर मोहित होती थी
कुछ समय पश्चात सांबा बड़ा हुआ उसका विवाह भी हो गया।
इसी कारण मिली कोढ़ी की सजा-
एक दिन कृष्ण की एक रानी ने सांबा की पत्नी का रूप धारण कर सांबा को आलिंगन में भर लिया। उसी समय कृष्ण ने ऐसा करते हुए देख लिया। क्रोधित होते हुए कृष्ण ने अपने ही पुत्र को कोढ़ी हो जाने का श्राप दिया ।
पुराण में वर्णित है कि –
महर्षि कटक ने सांबा को इस कोढ़ से मुक्ति पाने हेतु सूर्य देव की अराधना करने के लिए कहा। तब सांबा ने चंद्रभागा नदी के किनारे मित्रवन में सूर्य देव का मंदिर बनवाया और 12 वर्षों तक उन्होंने सूर्य देव की कड़ी तपस्या की।और सूर्य देव ने उन्हें कोढ़ मुक्त कर दिया ।