एक गाँव में कृष्णा नाम की लडकी रहती थी वह कक्षा 10 वी की छात्रा थी । कृष्णा छोटे जाती की थी इसलिए उसे स्कूल में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता था। स्कुल में सभी बच्चे उससे दूर रहते थे क्योकि उनके माँ बाप उन्हें धमकाते थे की छोटी जात से दूर रहना चाहिए उस गांव में छुआ छुत का बड़ा ही भेद भाव था छोटी जाती को बहुत ही हिन् भावना से देखा जाता था
कृष्णा को इन सब चीज़ों से बहुत दुःख होता था एक दिन उसने अपने साथ हो रहे भेदभाव को अपने घरवालो को बताया पर घरवालो ने उल्टा अपनी बेटी को ही डाट दिया कि तू ऊँची जाति के बच्चों से दूर रहा कर।
कृष्णा के पिता भी इन सब कुरीतिओ से बहुत दुखी थे अपनी बेटी की बात सुनकर वह बहुत दुखी हुए और अपनी बेटी से कहने लगे बेटा जबतक तुम पढ़ लिख कर बड़ी नही बन जाओगी तब तक तुझे यह सब सहना पड़ेगा इसलिए मन लगा कर खूब पढ़ और बड़ी आदमी बन जा तब हमारे दिन बद्लेगे
कृष्णा को अपने पिता की बात समझ आ गयी। और उसने पुरे दिल से पढाई करके आगे पढ़ने का सोचा। और उसके बाद तो उसने पढाई में अच्छे नंबर लाना शुरू कर दिया। पर गांव के बड़ी जाती के लोग कृष्णा को बहुत तंग किया करते पर कृष्णा अपने अटल इरादों में टस से मस नही हुई उसके पिता भी उसका हर कदम पे साथ देते थे।
10 वी की परीक्षा में कृष्णा बहुत अच्छे नंबरों से पास हुई तो सरकार ने उसे खूब सारा धन इनाम में दिया वह अब आगे की पढाई के लिए शहर गई और आगे पढ़ना शुरू कर दिया बहुत मेहनत की अपनी पढाई में और एक दिन वह बड़ी कलेक्टर बन गई
जब वह बड़ी अफसर बन कर अपने गांव लोटी तो उसके घर बहुत जमावड़ा लगा हुआ था जो लोग उसे छूने से हिचकते थे आज वही सब उसके घर उसी के स्वागत में खड़े थे
उसके पिता के आँखों में खुसी के आंसू भर आये थे और वह अपनी बेटी को इतनी उचाई में देख कर बहुत ही खुश थे वह कहने लगे बेटा आज तूने छुआ छुत को सहराने वालो को अपने कदमो में झुका दिया है अब कोई तुझे परेशान नही करेगा की तू नीच जाती की है कृष्णा के मुख पर भी हल्की सी मुस्कान थी अपने पिता को देख कर
कहानी की सिख– हमे इन रुड़ीवादी प्रथाओ को बढ़ावा नही देना चाहिए सभी जाती का खून लाल ही है सब एक ही है फिर ये भेद –भाव कैसा सबको समाज में बराबर जीने का हक है तो आप भी ये भेद-भाव ना करे ना किसी के द्वारा होने दे