छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के खपरी गांव में ‘कुकुरदेव‘ का एक बहुत ही प्राचीन मंदिर स्थित है यह मंदिर किसी देवी-देवता को नहीं बल्कि कुत्ते के लिए जाना जाता है यहाँ कुत्ते की ही पूजा होती है जिसे कुकुरदेव के नाम से जाना जाता है इस मंदिर के गर्भगृह में कुत्ते की प्रतिमा के साथ शिवलिंग भी स्थापित किया गया है इसके साथ ही राम-लक्ष्मण और शत्रुघ्न की प्रतिमा भी रखी गई है इसके अलावा एक ही पत्थर से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा भी मंदिर में स्थापित है।
मंदिर के प्रवेश द्वार पर भी दोनों ओर कुत्तों की प्रतिमा लगाई गई है लोग भगवान शिव के साथ-साथ कुत्ते के प्रतिमा की वैसे ही पूजा करते हैं जैसे बाकि शिवमंदिरों में नंदी की पूजा होती है इस मंदिर में लोग उतनी ही श्रद्धा से कुत्ते की पूजा करते हैं जितनी श्रद्धा से भगवान की पूजा की जाती है।
क्या है और मान्यता कुकुरदेव मंदिर के:
लोगों का मानना है कि इस मंदिर में कुकुरदेव की पूजन करने से कुकुरखांसी और कुत्ते के काटने से होने वाली बीमारियों से सुरक्षा होती है अगर किसी को कुत्ता काट लेता है तो वह इस मंदिर में जल्दी ठीक होने की मन्नत मांगता है तो जल्दी ही ठीक भी हो जाता है।