1. जब गांधी जी को बीड़ी की लत लग गई –
आज तक आपने किसी आम इंसान को कोई गलत लत लगने के बारे में सुना होगा लेकिन क्या आप जानते है कि गांधी जी जैसे महान इंसान को भी बीड़ी की लत लग सकती है। दरअसल ये बात गांधी जी के युवावस्था की है जब वे अपने बुरे दोस्तों की कुसंगति में आ गए थे, इस दौरान उन्हें बीड़ी पीने की लत लग गई थी और वे अपने दोस्तों के साथ चोरी छिपे मांस का सेवन भी करने लगे थे हालांकि गांधी जी घर पर शाकाहारी थे। इसके अलावा गांधी जी को चोरी की आदत भी लग गई थी। इन गलत आदतों की पूर्ती के लिए उन्हें पैसो की आवश्यकता पड़ती थी इसलिए उन्होंने कर्ज लेना शुरू कर दिया।
एक बार कर्ज चुकाने के लिए उन्होंने अपने बड़े भाई के सोने के कड़े के एक टुकड़े को चुरा लिया और बेचकर अपना कर्जा चुका दिया। गांधी जी ने चोरी तो कर ली लेकिन उन्हें इस बात का बहुत पछतावा हुआ। अपने आप को अपराधबोध समझ कर गांधी जी ने अपने पिता को एक पत्र के माध्यम से इन सभी बुरी लतों के बारे में बताया और प्रण लिया की अब वे कभी कोई बुरा काम नही करेंगे। इसके बाद से गांधी जी ने कभी कोई गलत काम नही किया।
2. भारत में गांधी जी का पहला भाषण-
ये बात 1916 की है जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए थे। गांधी जी को बनारस हिंदू विश्व विद्यालय (बीएचयू) के शिलान्यास के लिए खासतौर पर आमंत्रित किया गया था। गांधी जी को यहां अपना पहला भाषण भारतीयों के बीच में देना था। चूंकि इस कार्यक्रम में दिल्ली से वायसराय भी आया हुआ था इसलिए गांधी जी को अपना भाषण अंग्रेजी में देना था। गांधी जी को अपने देश में होकर भी अंग्रेजी भाषा में बोलना था इसलिए उन्होंने भाषण की शुरूआत कुछ ऐसे कि ‘बड़े ही शर्म की बात है कि अपने देश में होकर भी मुझे अपने लोगों के बीच हिंदी न बोलकर अंग्रेजी में बोलना पड़ रहा है…’।
गांधी जी के इस पहले भाषण से ही वहां मौजूद अंग्रेजों को आभाष हो गया था कि आने वाले समय में ये व्यक्ति हम लोगों के लिए कई मुश्किलें खड़ी करेगा। और हुआ भी यही गांधी जी ने उस भाषण के बाद से देश के कोने-कोने में जाकर कई भाषण दिए और लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ इकट्ठा खड़ा किया।
3. गांधी जी ने बचपन में अपने डर पर ऐसे पाया काबू – Mahatma Gandhi Childhood Story in Hindi
Gandhi ji Childhood Story in Hindi: बचपन में गांधी जी भी छोटे बच्चों की तरह डरपोक हुआ करते थे और रात के अंधेरे से बहुत डरा करते थे। अंधेरे से वे इतना डरते थे कि रात के अंधेरे में अकेले अपने घर में भी नहीं जा पाते थे। गांव में अक्सर भूत-प्रेत के किस्से प्रचलित होते है जिससे किसी भी बच्चे का डरना स्वाभाविक होता है ऐसे में गांधी जी भी बचपन में अन्य बच्चों की तरह ही डरा करते थे। एक बार उनके इस डर को देखते हुए उनके घर में काम करने वाली एक महिला ने उन्हें समझाया कि जब भी तुम्हें डर लगे तब राम का नाम लेना, डर तुमसे दूर भाग जाएगा।
जब भी उन्हें डर लगता वे राम का नाम लेकर अपने उस डर को दूर भगाने लगे। इस तरह गांधी जी ने राम के नाम को रट लिया और राम का नाम हमेशा उनकी जुबान पर ही रहता था। जब गांधी जी की मृत्यु हुई तब भी उनके आखिरी शब्द भी राम ही थे।