इन नौ दिनों में तो जैसे इस मंदिर को एक उत्सव का रूप मिल जाता है। देश-विदेश सभी जगहों से भक्तों का जमावड़ा लग जाता है। माता का दरबार भी सुंदर रूप से सजाया जाता है।यह मान्यता बेहद प्रचलित है कि जो कोई भी सच्चे दिल से माता के दर्शन करने आता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। लोगों का यह भी मानना है कि जब तक माता ना चाहे कोई भी उसके दरबार में हाज़िरी नहीं भर सकता।
जब उसकी इच्छा होती है वह किसी ना किसी बहाने से अपने भक्तों को अपने पास बुलाती जरूर है और कहा जाता हैं यहां आने वाले निर्बलों को बल, नेत्रहीनों को नेत्र, विद्याहीनों को विद्या, धनहीनों को धन और संतानहीनों को संतान का सुख प्राप्त होता है।
माता की एक पौराणिक कथा काफी प्रसिद्ध है जो माता के एक भक्त श्रीधर से जुड़ी है। इस कथा के अनुसार वर्तमान कटरा क़स्बे से 2 कि.मी. की दूरी पर स्थित हंसाली गांव में मां वैष्णवी के परम भक्त श्रीधर रहते थे, जो कि नि:संतान थे। संतान ना होने का दुख उन्हें पल-पल सताता था।
इसलिए एक दिन नवरात्रि पूजन के लिए कुंवारी कन्याओं को बुलवाया। अपने भक्त को आशीर्वाद देने के लिए मां वैष्णो भी कन्या वेश में उन्हीं के बीच आ बैठीं। पूजन के बाद सभी कन्याएं तो चली गईं पर मां वैष्णों देवी वहीं रहीं और श्रीधर से बोलीं, “सबको अपने घर भंडारे का निमंत्रण दे आओ।