फिक्र
गाँव छोड़ कर शहर आए एक व्यक्ति ने क्या खूब लिखा है
गाँव छोड़कर शहर आया था
फिक्र वहा भी थी
फिक्र यहा भी है
गाँव में तो सिर्फ फसले ही खतरे में थी
शहर में तो पूरी नस्ले ही खतरे में है|
फिक्र
गाँव छोड़ कर शहर आए एक व्यक्ति ने क्या खूब लिखा है
गाँव छोड़कर शहर आया था
फिक्र वहा भी थी
फिक्र यहा भी है
गाँव में तो सिर्फ फसले ही खतरे में थी
शहर में तो पूरी नस्ले ही खतरे में है|