इस कहानी में महाराज कृष्णदेवराय अपनी महारानी तिरुमाला से किसी बात को लेकर नाराज हो जाते हैं और बात तक करना बंद कर देते हैं लेकिन अपनी सूझ बुझ से तेनालीराम बड़ी ही सरलता से महाराज और महारानी में सुलह करा देते हैं इस कहानी के माध्यम से जानिए कैसे?
एक बार राजा कृष्णदेवराय महारानी तिरुमाला से इतने नाराज हो गए कि उनसे बात करना भी बंद कर दिया। जब बहुत दिन बीत गए और महाराज का रवैया नहीं बदला तो महारानी ने तेनालीराम को बुलावा भेजा और कहलवाया की वो जल्द से जल्द हम से आकर मिलें।
तेनालीराम बहुत जल्दी महारानी से मिलने पहुँच गए और उनसे उनकी परेशानी का कारण पूछा, “महारानी ने बताया कि महाराज हमसे बहुत नाराज हो गए और हमसे बात भी नहीं कर रहे।
लेकिन क्यों?, तेनालीराम ने आश्चर्य से पूछा
एक बार महाराज हमें अपनी लिखी कहानी सुना रहे थे। कहानी सुनते-सुनते हमे उबासी आ गई। बस इसी बात पर वो नाराज होकर उठकर चले गए। उबासी आने में हमारी कोई गलती नहीं थी। लेकिन मैंने फिर भी महाराज से माफ़ी मांगी किन्तु उन पर इसका भी कोई असर न हुआ। अब तुम ही बताओ, “तेनाली!” हम उनका गुस्सा कैसे शांत करें।
तेनालीराम ने महारानी तिरुमाला को धीरज बंधाते हुए कहा, “आप चिंता न करें महाराज का गुस्सा जल्द ही शांत हो जायेगा।” इतना कहकर तेनाली राम राजदरबार कि ओर चला गया जहाँ महाराज अपने मंत्रियों के साथ वार्षिक कृषि उपज के विषय में चर्चा कर रहे थे।
“महाराज कह रहे थे कि इस बार पिछले वर्ष की तुलना में गेहूँ का उत्पादन बहुत कम हुआ हैं। उपज बढ़ाने के लिए कुछ करना होगा।
तभी तेनालीराम ने महाराज की तरफ दो-चार गेहूँ के दाने देते हुए कहा, “महाराज अगर हम इस बार इन बीजों को लगायेंगे तो गेहूँ की उपज तीन गुना बढ़ सकती हैं।
तेनालीराम की बात सुनकर सब अचंभित हो गए। फिर महाराज बोले, “तो क्या इसके लिए किसी खास भूमि या खाद की जरुरत पड़ेगी।”
नहीं महाराज! खाद और भूमि तो नहीं लेकिन जो इंसान इन बीजों को बोएगा, सींचेगा और कटेगा उसे जीवन में कभी उबासी न आई हो और न कभी आए।
इतना सुनते ही महाराज गुस्से में तिलमिलाते हुए बोले, “तेनाली! तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया। ऐसा कैसे संभव है कि किसी व्यक्ति को जीवनभर उबासी न आई हो।
परन्तु महाराज, “हमारी महारानी तो मानती है कि उबासी लेना एक जुर्म हैं।
महाराज तुरंत समझ गए कि तेनालीराम ऐसी बातें क्यों कर रहा है। उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया और फ़ौरन महरानी से मिलने चले गए क्योंकि अब उनकी नाराजगी दूर हो चुकी थी।