ये तो हम सभी ही जानते हैं कि भगवान शिव का सबसे प्रिय महिना सावन है और आपको बता दें कि इस वर्ष पहला सोमवार 30 जुलाई को है। सभी लोग इस पवित्र महीने में सभी भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना में तन मन से जुट जाते है।ऐसा माना जाता है कि सावन में शिव उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं जो सच्चे मन से उनकी आराधना कर लेता हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं जिन शिव की आप पूजा करते हैं उनके गले में नाग और हाथ में डमरू और बाकि चीजे कैसे और क्यों आई? आज हम आपको अपने पोस्ट के जरिए इसी विषय में बताने जा रहे हैं।
नाग
महादेव के गले में नाग ऐसे आया कथाओं के अनुसार शिव के गले में जो नाग है वो राजा नाग वासुकी है। वासुकी नाग भगवान शिव के परम भक्त थे, इसलिए महादेव ने उन्हें अपने गले में हार की तरह हमेशा के लिए लिपटे रहने का वरदान दिया।
डमरू
महादेव के हाथ में जो डमरू है उसके पीछे बताया जाता है कि जब सृष्टि का आरंभ हुआ तो उसके साथ सरस्वती भी उत्पन्न हुई और फिर उन्होंने वीणा बजाया जिसके स्वर से सृष्टि में ध्वनि की उत्पत्ति हुई।
इसी ध्वनी में फिर शिव जी ने नृत्य करते हुए चौदह बार डमरू बजाया और इस डमरू की ध्वनि से व्याकरण और संगीत के धन्द, ताल का जन्म हुआ। इस तरह से शिवजी के डमरू की उत्पत्ति हुई।
त्रिशूल
आपने देखा होगा कि भगवान शिव के हाथ में त्रिशूल भी होता है। इस त्रिशूल की उत्पत्ति ऐसे हुई जब सृष्टि का आरंभ हुआ ब्रह्मनाद से जब शिव प्रकट हुए तो उनके साथ रज, तम और सत गुण भी प्रकट हुए। यही तीनों गुण मिलकर शिवजी का त्रिशूल बना।