तेनालीराम की बुद्धिमानी के किस्सों के पिटारे से आज हम आपके लिए लाएं है तेनालीराम की एक और कहानी “सुनहरा पौधा”। इस कहानी में महाराज कृष्णदेव राय सुनहरे फूल वाले पौधे के कारण माली को मृत्युदंड दे देते हैं लेकिन तेनालीराम एक बार फिर अपनी चतुराई से महाराज को प्रसन्न कर गलत फैसला लेने से रोक देता हैं। और माली की जान बच जाती हैं।
एक बार राजा कृष्णदेव राय कश्मीर घूमने गए। जहाँ उन्होंने एक अनोखा सुनहरे फूल वाला पौधा देखा। उन्हें उस पौधे के फूल इतने सुंदर लगे कि आते वक़्त वे उस पौधे को भी साथ ले आए ताकि उसे अपने बगीचे में लगवा सके। विजयनगर पहुँचने पर उन्होंने माली को बुलवाया और पौधा उसे देते हुए कहा, “इसे ऐसी जगह लगाना जहाँ मैं इसे रोज देख सकूँ और ध्यान रहे कि पौधे की देखभाल अपनी जान की तरह होनी चाहिए अन्यथा तुम्हें भी अपनी जान गँवानी पड़ सकती हैं ।”
माली ने पौधे को बड़ी ही सावधानी से पकड़ा और महाराज के शयनकक्ष की खिड़की के ठीक सामने लगा दिया । सुबह जब महाराज ने उठकर खिड़की के बाहर झांककर देखा तो सुनहरे पौधे को देखकर उन्हें बड़ी ख़ुशी हुई । उन्होंने मन ही मन माली की प्रशंसा की।
संयोगवश एक दिन माली की बकरी वहाँ आ धमकी और उस पौधे को खा गयी। माली महाराज को यह बात बताना चाहता था मगर उसमें इतनी हिम्मत न थी अत: वह महाराज को इस बारे में नहीं बता पाया।
जब अगले दिन अपने शयनकक्ष से महाराज को वह पौधा नही दिखा तो उन्होंने तुरंत माली को बुलवाया। माली डरा सहमा सा महाराज के सामने आकर खड़ा हो गया। तब महाराज ने उससे गुस्से में पूछा, “पौधा कहाँ हैं ।”
माली रुआंसा-सा होकर बोला म ….महाराज उसे तो मेरी बकरी खा गयी।
महाराज ने गुस्से में आकर माली को मृत्युदंड दे डाला। जब यह खबर माली की पत्नी के पास पहुंची तो वह रोते- रोते दरबार में आई और महाराज से अपने पति को छोड़ने की फरियाद करने लगी लेकिन महाराज अभी भी बहुत गुस्से में थे इसलिए उन पर कोई असर नही पड़ा।
तब उसे एक मंत्री और बहुत से लोगों ने तेनालीराम के पास जाने की सलाह दी और कहा अब बस वही तुम्हारे पति को फांसी लगने से बचा सकता हैं ।इतना सुनते ही माली की पत्नी तेनालीराम के पास पहुँच गयी और उससे अपने पति को छुड़ाने की फरियाद करने लगी तब तेनालीराम ने उसे संतावना देते हुए कहा कि वह इस बारे में कोई चिंता ना करे।
दूसरे दिन नगर में माली की पत्नी ने बीच चौराहे पर अपनी बकरी को बंधकर पीटना शुरू कर दिया ।वह एक मोटा डंडा लेकर उसे पिटे जा रही थी और पिटते-पिटते उसने बकरी को अधमरा कर दिया।
किसी ने यह खबर कोतवाल तक पहुंचा दी। नगर कोतवाल कुछ सिपहियों को लेकर वहाँ पहुँचा और माली की पत्नी को देखते ही सारी बात समझ गया और सीधे दरबार में जाकर यह सारा मामला महाराज के सामने बता दिया ।जिसे सुनकर महाराज उस जगह पर पहुँच गए और माली की पत्नी से पूछा, “क्या तुम इस बकरी को पिट रही थी?”
“हाँ अन्नदाता !”
“परन्तु क्यों?”
आज इस बकरी के कारण मैं विधवा और मेरे बच्चे अनाथ हो जायेंगे तो मैं इस बकरी को क्यों ना मारूं।
मैं कुछ समझा नही,” एक बेजुबान जानवर की वजह से तुम कैसे विधवा हो सकती हो”
महाराज यही वो बकरी हैं जिसने आपका सुनहेरा पौधा खाया हैं। इसके अपराध का दंड आज मेरे पति को दिया जायेगा।
मालिन की बात सुनकर महाराज सब समझ गए लेकिन सोच में पड़ गए की एक साधारण सी महिला के दिमाग में ये युक्ति आई कहाँ से?
महाराज ने उसके पति को छोड़ने का आदेश दे दिया और उससे पूछा कि तुम्हें ये सुझाव किसने बताया। माली की पत्नी ने तेनालीराम का नाम बता दिया। जो कि वही खड़ा मुस्कुरा रहा था।
महाराज तेनालीराम के पास गए और तेनालीराम का शुक्रिया अदा करते हुए बोले तेनाली आज तुमने हमें एक गलत फैसला लेने से बचा लिया। हमें गर्व हैं कि तुम्हारे जैसा बुद्धिमान व्यक्ति हमारे दरबार में हैं।