महाराज, राजपुरोहित और तेनालीराम राज उद्यान में टहल रहे थे कि महाराज बोले , “ऐसी सर्दी में तो खूब खाओ और सेहत बनाओ। वैसे भी इस बार तो कड़के की ठण्ड पड़ रही हैं। ऐसे में तो मिठाई खाने का मज़ा ही कुछ और हैं।”
जैसे ही खाने पीने की बात शुरू हुई तो राजपुरोहित के मुंह में पानी आ गया और वह बोला, “महाराज ऐसे में तो मावे की मिठाई खाने में बड़ा ही आनंद आता हैं।”
“सर्दियों की सबसे बढ़िया मिठाई कौन सी हैं ?”महाराज ने अचानक से पूछा
तेनालीराम से पहले पुरोहित बोला, “ महाराज एक हो तो बताओ। काजू , पिस्ते की बर्फी, हलवा,रसगुल्ले आदि बहुत सी मिठाईयां हैं जो हम सर्दी में खा सकते हैं।”
अब महाराज ने तेनालीराम से पूछा , “ अब तुम बताओ।”
तेनालीराम बोला, “महाराज आज रात आप मेरे साथ चलना। मैं आपको अपनी पसंद की सर्दियों की मिठाई खिला दूंगा।”
“कहाँ चलना हैं?” महाराज ने पूछा
महाराज दरअसल मेरी पसंद की मिठाई यहाँ मिलती नही हैं। इसीलिए आपको मेरे साथ चलना होगा।”
महाराज ने कहा, “ ठीक हैं हम तुम्हारे साथ चलेंगे।”
रात होते ही महाराज ने साधारण मनुष्य का भेष बना लिया और तीनों निकल पड़े तेनालीराम की पसंद की मिठाई खाने के लिए।
काफी देर चलते- चलते एक गाँव भी पार हो गया और वे अब खेतों में पहुँच गए कि महाराज बोले, “तेनालीराम आज तो तुमने हमें बिलकुल थका दिया। तुम्हारी मनपसंद मिठाई खाने के लिए हमें अभी कितना और चलना पड़ेगा।”
बस महाराज जहाँ ये लोग बैठे हाथ सेक रहे हैं बस वही तक चलना हैं।” तेनालीराम ने कहा
थोड़ी ही देर में तीनों वहाँ पहुँच गए। तेनालीराम ने महाराज और पुरोहित को वहाँ रुकने के लिए कहा और खुद थोड़ी ही दूरी पर स्थित एक कोल्हू में जा पहुंचा।जहाँ एक तरफ गन्नों की पिराई हो रही थी और एक तरफ बड़े -बड़े कड़ाहो में गन्ने का रस पका कर ताज़ा गुड़ बनाया जा रहा था।
वहाँ काम कर रहे एक व्यक्ति से तेनालीराम ने तीन पत्तलों में गुड़ रखवाया और आग तेप रहे महाराज और पुरोहित को लाकर एक-एक पत्तल थमा दी।महारज ने जैसे ही गरमागरम गुड़ मुंह में डाला तो वे बोले , “वाह! क्या मिठाई हैं। सच में तेनालीराम इसे खाते ही हमारी तो सारी थकान उतर गई।”
अब महाराज ने पुरोहित से पूछा , “क्यूँ पुरोहित जी आपको कैसी लगी मिठाई?”
“यह मिठाई तो वाकई लाजवाब हैं।” पुरोहित ने कहा
तभी दोनों ने एक साथ पूछा, “ पर ये हैं कौन-सी मिठाई तेनालीराम,अब तो बता दो ?”
महाराज ये गुड़ हैं। गरमागरम गुड़ किसी मिठाई से कम थोड़ी होता हैं।”तेनालीराम ने कहा
दोनों आश्चर्यचकित होकर बोले, “ क्या! ये गुड़ हैं?”
“जी महाराज।”तेनालीराम ने उत्तर दिया
“सच में तेनालीराम ये किसी मिठाई से कम नहीं हैं।” महाराज ने तेनालीराम की पीठ थपथपाते हुआ कहा।