हम किसी भी पूजा पाठ में ॐ का उच्चारण सुनते ही है तथा ॐ का जाप भी करते है पर आपको यह पता है की ॐ का मतलब क्या है और इसके उच्चारण से क्या लाभ है । ओम का यह चिन्ह अद्भुत है इसे प्रणव मंत्र भी कहते हैं आइए हम बताए की क्या है ॐ का महत्व ।
ॐ(ओम) का अर्थ तथा उसका महत्व:
यह ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी है और यह भू: लोक,और स्वर्ग लोग का प्रतीक भी माना जाता है।
ॐ के उच्चारण से लाभ भी है जैसे-
बीमारी दूर भगाएँ :
मंत्रों का उच्चारण जीभ, होंठ, तालू, दाँत, कंठ और फेफड़ों से निकलने वाली वायु के सम्मिलित प्रभाव से संभव होता है। इससे निकलने वाली ध्वनि शरीर के सभी चक्रों और हारमोन स्राव करने वाली ग्रंथियों से टकराती है। इन ग्रंथिंयों के स्राव को नियंत्रित करके बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है।
इसके लाभ :
- इससे शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलेगी।
- दिल की धड़कन और रक्तसंचार व्यवस्थित होगा।
- इससे मानसिक बीमारियाँ दूर होती हैं।
- काम करने की शक्ति बढ़ जाती है।
- इसका उच्चारण करने वाला और इसे सुनने वाला दोनों ही लाभांवित होते हैं।
- इसके उच्चारण में पवित्रता का ध्यान रखा जाता है।
शरीर में आवेगों का उतार-चढ़ाव :
प्रिये तथा अप्रिय शब्दों से निकलने वाली ध्वनि से मस्तिष्क में उत्पन्न काम, क्रोध, मोह, भय लोभ आदि की भावना से दिल की धड़कन तेज हो जाती है जिससे रक्त में विषाक्त पदार्थ पैदा होने लगते हैं। इसी तरह प्रिय और मंगलमय शब्दों ध्वनि मस्तिष्क, हृदय और रक्त पर अमृत की तरह लाभ करती है।
उच्चारण की विधि :
- प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें।
- ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं।
- आप ॐ शब्द को जोर से बोल सकते हैं,या फिर धीरे-धीरे भी बोल सकते हैं।
- ॐ जप माला से भी कर सकते हैं या बिना माला के भी ।