भारत में गर्मियों में उत्तर-पूर्व तथा पश्चिम से पूरब दिशा में चलने वाली प्रचण्ड उष्ण तथा शुष्क हवाओं को लू कहतें हैं।गरमी के दिनों में गरम हवाएँ चलती हैं, इसे लू कहते हैं। इन्हें कुछ लोग तो सहन कर जाते हैं, लेकिन कुछ लोग सहन नहीं कर पाते और लू का शिकार हो जाते हैं। इस तरह की हवा मई तथा जून में चलती हैं। गर्मियों के इस मौसम में लू चलना आम बात है। “लू” लगना गर्मी के मौसम की बीमारी है।
“लू” लगने का प्रमुख कारण
शरीर में नमक और पानी की कमी होना है। पसीने के रूप में नमक और पानी का बड़ा हिस्सा शरीर से निकलकर खून की गर्मी को बढ़ा देता है। सिर में भारीपन होने लगता है, नाड़ी की गति बढ़ने लगती है, खून की गति भी तेज हो जाती है। साँस की गति भी ठीक नहीं रहती तथा शरीर में ऐंठन-सी लगती है। बुखार काफी बढ़ जाता है। हाथ और पैरों के तलुओं में जलन-सी होती रहती है। आँखें भी जलती हैं। इससे अचानक बेहोशी व अंततः रोगी की मौत भी हो सकती है।
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