किसी पराए को अपनो की तरह पाला तो काम आया

किसी पराए को अपनो  की तरह पाला तो काम आया (  )

मुझे घुमने का बड़ा शौक है नई-नई जगहों के बारे में जानना मुझे बहुत पसंद है  कई  साल पहले की बात है मुझे केरल घुमने का मन हुआ मै अगले ही दिन अपने किसी परिचित मित्र  के साथ केरल को देखने और वहा घुमने के लिए निकल पड़वहा हमने ठहरने के लिए होटल में  एक रूम बुक किया था हम होटल पहुचे और नहा कर खाना खाया थोडा आराम किया  और रात हो गई ।

अगले दिन मेरा मन  केरल को देखने का हुआ मै अपने मित्र को कहने लगी की चलो अब घूम कर आते है हम दोनों तैयार होके निकल पड़े रास्ते में नारियल के पेड़ बड़े सुंदर प्रतीत हो रहे थे,हम पैदल ही ।

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निकले थे घुमने सामने एक स्कूल था बच्चे भाग भाग के  खेल रहे थे सबकुछ बहुत अच्छा लग रहा था ।

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कुछ दूर जाते ही सामने एक गांव दिखा वहा कुछ लोग पत्थरो को फोड़ रहे थे कुछ कम्पनी खुलने वाली थी वहा  हम उनके करीब गए तो देखा सामने एक 11,12 साल का बच्चा भी पत्थर उठाने का  काम कर रहा था  उसे देख मेरा दिल पसिच गया कड़कती चिलचिलाती धुप में छोटा सा बच्चा  नंगे पैर हाफ निक्कर पहने बदन नंगा धुल  मट्टी से सना हुआ था|

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मैंने उससे पूछा बच्चे  आपके पैर और बदन नहीं जल रहा धुप में ?

“उसने कहा पेट की जलन के आगे यह जलन कुछ भी नही मेडम जी”

यह सुनते ही मेरा ह्रदय धक्क से रह गया की एक छोटा बच्चा जिसे और बच्चो के साथ खेलना चाहिए  वह यहाँ धुप में काम कर रहा है और इतने कटु शब्द बोल रहा है  ईश्वर  की लीला क्या क्या है अमीरों के कुत्ते तक मखमली बिस्तर में बैठ कर बोटी चबाते है और यह गरीब का मासूम बच्चा कडकती धुप में पत्थर उठा रहा है ।

मेरे मित्र ने  उससे पूछा की बच्चे तुम्हारे माता –पिता कहा है?तो उसका जबाब था मेरे माता –पिता  नही है उन्होंने मुझे झाड़ियो में फैक दिया था मेरे पैदा होते ही जिन्होंने मुझे पाला वो मेरे माता –पिता  वहा साइड में काम कर रहे है पत्थर फोड़ने का, ।

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यह सुनते ही मेंरे  और मेरे मित्र के आँखों में आंसू आ गए हम दोनों फिर उन माता –पिता के पास गए  वो भी बहुत कमजोर से  और फटे कपडे पहने हुए थे हमने उनसे पूछा की आपने बहुत अच्छा किया किसी अनजान के बच्चे को पालपोस कर इतना बड़ा किया  आप लोग बहुत महान हो सुना ही  था  की गरीबो का दिल बड़ा होता है  आज देख भी लिया |पर  आप इसे पढ़ाते क्यों नही इतनी सी उम्र में काम कर रहा है नंगे बदन ।

उन्होंने कहा मेडम जी दो टाइम खाने की हेसियत नही उसे कैसे पढाए यह अकेला नही 5 और है हमारे बच्चे, फिर मैंने पूछा  यह आपकी औलाद नही इसलिए आप इसको मजदूरी करवाते हो?खुदके बच्चो को घर में आराम से बिठाते हो ।

उन्होंने जबाब दिया नही मेडम जी आप गलत सोच रही हो मेरे 5 बच्चे किसी काम के नही 3 लडकिया है जिनमे से 2 की शादी हो गई  वो भी हमारे ही तरह जैसे-तैसे जीवन जी रहे है दो लडके बुरी संगत में पड़  गए है गांजा  सिग्रेट के आदि हो गए है सुनते नही कुछ बोलो तो उल्टा हमे पीटने को आते है |एक लडकी है उसे लेके यहाँ क्या काम करवाए सबकी गंदी नज़र रहती है  बस अब यही कारण है जिसकी वजह से हम इसको यहाँ लाते है

अब मेरे पास कुछ शब्द नही बचे कहने को मुस्किलो वाले हालात थे उनके मैंने फिर भी कहा की यहाँ एक सरकारी स्कूल है अभी आते टाइम मैंने देखा वहा आप इसका दाखिला करवा दो पैसे नही लगते वहा सुबह जाएगा पढने और दिन मे आप लोगो का हाथ बटा दिया करेगा ,वह कहने लगे की हम कुछ जानते नही पढना लिखना नही आता कैसे कराएगे इसका दाखिला मेरे मित्र बोले कोई बात नही हम जा कर करवा देते है  ।

फिर हम गए और उसका दाखिला करवा के अपने होटेल को निकल गए हम जब तक वहा थे उस बच्चे को रोज मिलते पैसे वगेरा देते और आते वक्त उसको कपडे भी देके आए धीरे धीरे  वह  बच्चा बड़ा हुआ उसने 12 वी तक उस  सरकारी स्कूल  में पढाई की 12 वी  के बाद जहा वह पत्थर फोड़ा करता था वही उसे 15000 की जॉब मिल गई फिर उसने कॉलेज के प्राइवेट एग्जाम  भी दिए ।

आज वो लड़का 25 साल का हो गया और एक अच्छी कम्पनी में जॉब करता है अपने पाले हुए माँ बाप के साथ  कम्पनी के दिए हुए घर में रहता है ।

उनके खुदके बच्चे गांजे के शिकार बनके पहले ही घर छोडके चले गए थे और ला पता हो गए  लडकी ने शादी कर ली थी उसी झाड़ियो से उठाया हुआ बच्चा ही बूढ़े माँ बाप का सहारा बन गया ।

कहानी की सिख –

कभी भी अच्छाई का फल अच्छा ही होता है इसलिए बिना शंका करे जहा तक हो सबका भला ही करे ।

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