शांति मधुरता और भाईचारे की अवस्था है, जिसमें बैर नही होता है।यह शब्द युद्ध और कलह का विलोम है। अगर देखा जाए तो शांति के बिना जीवन का आधार नही है ,लेकिन मानव की स्वार्थसिद्धी के कारण शांति का पतन होता जा रहा है। और आज आम आदमी के जीवन में भय और अशांति से जीवन भर गया है इसका मूल कारण स्वार्थ, कायरता, अविश्वास और ईश्वर प्रदत प्रेमभाव का आम जन में समाप्त होना है।
जीवन के इन गिरते उठते क्षणों को जितना संभालकर चलेंगे, उतनी ही हमारी प्रगतिशीलता तीव्र होगी। हमारे भीतर उठने वाले कई व्यर्थ के प्रश्न अपने-आप हल होते जाएंगे।
इस संसार के अंदर असली कमी क्या है ? तुम्हारे जीवन में किस चीज की कमी है ? भगवान ने जो दिया, वह दिया। तुम उसको किस रूप में इस्तेमाल करते हो, यह तुम पर निर्भर है। ठीक ढंग से इस्तेमाल करोगे तो आनंद मिलेगा। गलत ढंग से इस्तेमाल करोगे तो जीवन में दुख होगा। यह बिलकुल स्पष्ट बात है !
यही शांति का असली तात्पर्य है ।