एक लड़का था गोपू,, गोपू को हमेशा से ही अभिनय का शौक था। लेकिन देखनें में वह कुछ खास नही था। उसे लगता था कि वह ज्यादा सुंदर न होने के कारण वह कभी अभिनेता नहीं बन पाएगा। गोपू के पिता हमेशा उसे समझाते थे कि बेटा सुन्दरता कोई मायने नहीं रखती बल्कि व्यक्ति को गुणवान ,ईमानदार,और परोपकारी होना चाहिए। तभी वह अच्छा इंसान बन सकता है।
एक दिन गोपू को पता चला की उसके शहर में एक धारावाहिक के लिए आँडिशन हो रहे हैं। उसका सपना था कि वह किसी धारावाहिक में काम करे। उसने सोच लिया कि वह भी आँडिशनके लिए जाएंगा। जब यह बात उसनें अपने दोस्तों को बताई तो सभी उसकी हंसी उड़ाने लगें।
उसके एक दोस्त मीनू ने कहा की न तो तुम गोरे हो और न ही लम्बे न ही जीम जाते हो। यदि किसी को चुना जाएगा तो वह मेरे जैसा होगा। मीनू को अपनी सुन्दरता पर बहुत घमंड था। वहा से घर आकर गोपू ने अपने पिता से ऑडिशन के लियें इजाजत मांगी। पिता ने कहा यदि तुमने आत्मविश्वास और ईमानदारी के साथ आँडिसन दिया तो नतीजा तुम्हारें पक्ष में होगा।
अगले दिन आँडिसन था गोपू एक घनटा पहले ही पहुँच गया। वहा काफी भीड़ लगी थी वह भी जा कर लाइन में लग गया। कुछ देर बाद वहा दो लड़के लड़ने लग गएं। उनमें हाथापाई हुई और एक लड़का गिर गया। उसके सिर से बहुत खून आने लगा। गोपू अपनी लाइन से निकल कर उस लड़के के पास गया और देखा तो पता चला की वह लड़का कोई ओर नहीं उसी का दोस्त मीनू था।
गोपू ने अपना शर्ट उतारा और उसे मीनू के सर पर बांध दिया उसने एम्बुलेंस को बुलाया और मीनू को अस्पताल ले गया। मीनू का इलाज करने के बाद वह आँडिशन वाली जगह पर पंहुचा तब तक काफी देर हो चुकी थी।ऑडिशन ख़त्म हो चुका था तभी निर्देशक ने उसे बुलाया और उसे बधाई देने लगे। गोपू हैरान था कि यह हो क्या रहा है। ये मुझे बधाई क्यों दे रहे है तभी निर्देशक बोले हमें तुम्हारें जैसे ईमानदार ,परिश्रमी और परोपकारी युवक की ही खोज थी। जो मेरे धारावाहिक का नायक है यह किरदार सिर्फ तुम ही निभा सकते हो। तुम्हारीं सोच बिलकुल नायक की तरह है गोपू के आँखों में खुशी के आंसू भर आएं।
दोस्तों हमें इस कहानी से ये सीखने को मिलता है कि सबको अपनी काबिलियत के अनुसार सब मिलता है किसी के रूप रंग की अवहेलना न करे