Vishwakarma Puja 2021 : प्रत्येक वर्ष के सितम्बर महीने की 17 तारीख को भगवान विश्वकर्मा जी का जन्म दिवस माना जाता है। इस दिन को विश्वकर्मा जयंती (Vishwakarma Jyanti), विश्वकर्मा दिवस (Day) या विश्वकर्मा पूजा के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन लोग देवताओं के वास्तुकार यानि विश्वकर्मा देव की मूर्ति स्थापित करके उनकी विधि सहित पूजा-अर्चना व विश्वकर्मा भगवान की आरती करते है तथा अगले ही दिन मूर्ति का विसर्जन करने का विधान है।
Vishwakarma Puja 2021: विश्वकर्मा भगवान कौन है? क्यों की जाती है इनकी पूजा? जानिए
कौन हैं भगवान विश्वकर्मा? – Who is Vishwakarma God?
हिन्दू धर्म के अनुसार निर्माण एवं सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा कहलाये जाते हैं। तकनीकी भाषा में इन्हें दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर (Engineer) भी कहा जाता है।
कौन हैं भगवान विश्वकर्मा (Who is Vishwakarma God)? | |
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अन्य नाम | प्रथम इंजीनियर, देवताओं का शिल्पकार, देव बढ़ई, मशीन का देवता, देवताओं का इंजीनियर और वास्तुशास्त्र का देवता |
पिता | वास्तुदेव |
माता | अंगिरसी |
संतान | पाँच पुत्र- 1. मनु, 2. मय, 3. त्वष्टा, 4. शिल्पी, 5. दैवज्ञ |
निर्माण कार्य | श्रीकृष्ण की द्वारिका, सुदामापुरी, कुबेरपुरी, यमपुरी, सोने की लंका |
शस्त्र निर्माण | शिव का त्रिशूल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र और यमराज का कालदण्ड |
कैसे हुआ विश्वकर्मा भगवान का जन्म – Vishwakarma Birth Story
विश्वकर्मा के जन्म से जुडी कथा
Vishwakarma Jayanti 2019 – पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार संसार की रंचना के आरंभ में भगवान विष्णु क्षीर सागर में प्रकट हुए। विष्णु जी के नाभि-कमल से चतुर्मुखी ब्रह्मा जी दृष्टिगोचर हो रहे थे। ब्रह्मा के पुत्र “धर्म” का विवाह “वस्तु (प्रजापति दक्ष की कन्याओं में से एक)” से हुआ। धर्म के सात पुत्र हुए इनके सातवें पुत्र का नाम “वास्तु” रखा गया, जो शिल्पशास्त्र की कला से परिपूर्ण थे। “वास्तु” और अंगिरसी के विवाह के पश्चात उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम विश्वकर्मा रखा गया, जो अपने पिता की तरह वास्तुकला के अद्वितीय गुरु बने। और उन्हें विश्वकर्मा के नाम से जाना जाने लगा।
विश्वकर्मा देव द्वारा निर्माण की गई वस्तुएं
यमपुरी, सुदामापुरी, शिवमंडलपुरी, वरुणपुरी, पाण्डवपुरी, इन्द्रपुरी, देवताओं के भव्य महल, आलीशान भवन, सिंघासन, शस्त्र और देवताओं के दैनिक उपयोग की वस्तुओं आदि का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था।
एक कथा के अनुसार वृत्रासुर के आतंक से परेशान देवताओं के राजा इंद्र के लिए महर्षि दधीचि की हड्डियों से बने वज्र का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। इसी वज्र से वृत्रासुर और अन्य असुरों का का वध सम्भव हो सका।
इतना ही नहीं यमराज का कालदण्ड, श्री हरि का सुदर्शन चक्र, महादेव का त्रिशूल, दानवीर कर्ण के कुण्डल आदि सब भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनाएं गए हैं। इसके अलावा
- पुष्पक विमान
- श्रीकृष्ण की द्वारिका नगरी
- सोने की लंका
- हस्तिनापुर
- स्वर्गलोक
- पाताल लोक
- पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी
- देवताओं के लिए शस्त्र
- देव और दानवों के राजमहल और भवनों
- प्राचीनतम मंदिर और देवालयों का भी निर्माता विश्वकर्मा देव को ही कहा जाता है।
यही कारण है कि विश्वकर्मा को देवताओ में शिल्पकार देव माना जाता है। विष्णु पुराण में इन्हें देव बढ़ई कहा गया है। देश के प्रमुख त्यौहारों में विश्वकर्मा पूजा भी एक प्रमुख त्यौहार है जो श्रम से जुड़े क्षेत्रों में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
विश्वकर्मा पूजा की मान्यता
Vishwakarma Day – विश्वकर्मा जी की पूजा करने से व्यापार में तरक्की होती है । विश्वकर्मा पूजा करने वाले व्यक्ति के घर धन-धान्य तथा सुख-समृद्धि की कभी कोई कमी नही रहती है। तथा सभी मनोकामना पूरी हो जाती है। इसलिए फैक्ट्री, कल-कारखानों, हार्डवेयर की दुकानों में मशीनों, औजारों आदि से अपना काम करने वाले लोग विश्वकर्मा पूजा (Vishwakarma Puja) बड़े ही धूमधाम से मनाते है।
भगवान विश्वकर्मा की आरती : Vishwakarma Ji Ki Aarti
ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा॥ ॐ जय…
आदि सृष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया।
जीव मात्रा का जग में, ज्ञान विकास किया॥ ॐ जय…
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥ ॐ जय…
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुःख कीना॥ ॐ जय…
जब रथकार दंपति, तुम्हरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत हरी सगरी॥ ॐ जय…
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे॥ ॐ जय…
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे॥ ॐ जय…
“श्री विश्वकर्मा जी” की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानंद स्वामी, सुख संपति पावे॥ ॐ जय…
विश्वकर्मा जयंती शुभ मुहुर्त
विश्वकर्मा जयंती पर विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहुर्त 17 सितंबर 2019 की दोपहर को 1:09 बजे पर बन रहा है।
विश्कर्मा पूजा संक्रांति काल- 17 सितंबर 2019 दोपहर 1:09 बजे